Study Material : UGC Net JRF Hindi : ईदगाह कहानी से पूछे जाने वाले तथ्य | Frequently Asked Facts From Idgah Story
ईदगाह कहानी से पूछे जाने वाले तथ्य या संवाद (Facts or Dialogues Asked From Idgah Story)
इस कहानी का प्रकाशन 1933 में हुआ था, और यह मानसरोवर भाक एक में संकलित है।
कहानी के पात्र- हामिद, बूढी दादी अमीना, आबिद (मृत्यू हो चुकी है), मोहसिन, महमूद, नूरे, सम्मी
हामिद के पित की मृत्यु हैजे से होती है और माँ की मृत्यू पीलिया से होती है।
ईदगाह कहानी में गाँव व शहर दोनों का वर्णन है।
तीस रोजों के बाद ईद आयी है।
लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं।
चौधरी कायमअली के पास कुछ लोग ईद के दिन कर्ज़ लेने के लिए दौड़े जा रहे हैं।
हामिद चार-पाँच साल का लड़का है। हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है और उतना ही प्रसन्न है।
अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गयी हैं, इसलिए हामिद प्रसन्न है। आशा तो बड़ी चीज है।
बच्चों की कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती है।
अमीना सोचती है इस निगोड़ी ईद को किसने बुलाया था।
हामिद के अन्दर प्रकाश है, बाहर आशा।
घर से ईदगाह तीन कोस की दूरी पर थी।
फहीमन के कपड़े सिले थे। आठ आने पैसे मिले थे।
धोबन और नाइन और मेहतरानी और चुड़िहारिन सभी ईदी लेने आएंगी।
बच्चे तेज चलकर आगे निकल जाते और सोचते यह धीरे-धीरे क्यों चल रहे हैं?
ईदगाह जाते समय बड़ी-बड़ी इमारतें आने लगीं। 1) अदालत 2 कॉलेज 3 क्लब 4 पुलिस लाइन घर क्रमानुसार रास्ते में पड़े।
“न जाने कब तक पढ़ेंगे और क्या करेंगे इतना पढ़कर”
क्लब-घर में जादू होता है, मुर्दों की खोपड़ियाँ दौड़ती हैं।
बड़े-बड़े आदमी खेलते हैं, मूँछो दाढ़ी वाले और मेमें भी खेलती हैं।
बैट, अम्मा पकड़ ही न पाएँ।
हामिद को यकीन न आया— ऐसे रूपये जिन्नात को कहाँ से मिल जायेंगे?
मोहसिन ने कहाँ – जिन्नात पाँच मिनट में कलकत्ता पहुँच जाएँ।
मोहसिन ने प्रतिवाद किया— यह कानिसटिबिल पहरा देते हैं? तभी तुम बहुत जानते हो अजी हजरत, यह चोरी करते हैं।
मोहसिन के मामा कानिसटिबिल हैं, बीस रुपया महीना पाते हैं, लेकिन पचास रुपए घर भेजते हैं।
मामा ने कहा— हम तो इतना ही लेते हैं, जिसमें अपनी बदनामी न हो और नौकरी न चली जाए।
मोहसिन के मामा के घर आग लग गई। सारी लेई-पूँजी जल गई। सौ कर्ज लाए तो बरतन-भांडे आये।
ईदगाह में जाजम बिछा था। “यहाँ कोई धन और पद नहीं देखता। इस्लाम की निगाह में सब बराबर हैं। ग्रामीणों ने वजू किया पिछली पंक्ति में खड़े हो गए।
यह देखो, हिंडोला है एक पैसा देकर चढ़ जाओ।
महमूद सिपाही लेता है, खाकी वर्दी और लाल पगड़ीवाला, कंधे पर बंदूक रखे हुए।
मोहसिन भिश्ती लेता है, कमर झुकी मशक रखे हुए है।
नूरे वकील लेता है। कानून का पोथा लिए हुए। यह सब दो-दो पैसे के खिलौने हैं।
सम्मी धोबिन लेता है।
हामिद खिलौनों की निंदा करता है। लेकिन ललचाई आँखों से खिलौनें देखता भी है।
“लड़के इतने त्यागी नहीं होते हैं, विशेषकर जब अभी नया शौक है”।
मोहसिन हामिद को रेवड़ी के लिए ललचाता है, लेकिन उसे नहीं खिलाता है।
महमूद गुलाबजामून के लिए ललचाता है।
हामिद— मिठाई कौन बड़ी नेमत हैं। किताब में इसकी कितनी बुराइयाँ लिखी हैं।
हामिद सोचता है, अपने दोस्तों के लिए पैसे चुरायेंगे और मार खायेंगे।
हामिद सोचता है, खिलौंने के लिए कौन इन्हें दुआ देगा? बड़ों की दुआएँ सीधे अल्लाह के दरबार में पहुँचती हैं, और तुरंत सुनी जाती हैं।
हमिद— “मैं गरीब सही, किसी से कुछ माँगने नहीं जाता। हामिद को लगता है अब्बाजान और अम्मी कभी न कभी आएँगे। उसे नहीं पता के ईश्वर के पास जाने का क्या मतलब होता है।
चिमटे की कीमत छ: पैसे की थी। हामिद ने कहा— तीन पैसे लोगे? हामिद को लगा दुकानदार उसे भला-बुरा न कहे इसलिए वह आगे बढ़ जाता है, लेकिन दुकानदार उसे बुलाकर चिमटा तीन पैसे में दे देता है।
मेरा बहादूर शेर है चिमटा। हामिद कहता है।
खिलौंने और चिमटे दोनों के लिए तर्क होने लगा। जिसके लिए दो दल बन गए। मोहसिन, महमूद, सम्मी, नुरे एक तरफ हो गए, और हामिद अकेला दूसरी तरफ हो गया।
सम्मी तो विधर्मी हो गया। दूसरे पक्ष से जा मिला।
लेखक कहता है हामिद के पास न्याय का बल है और नीति की शक्ति एक ओर मिट्टी है, दूसरी ओर लोहा।
हामिद ने चिमटे के लिए कहा— बहादुर रूस्तमे हिंद को पकड़ेंगे।
हामिद ने चिमटे के लिए कहा— आग में बहादुर ही कूदते हैं जनाब, तुम्हारे यह वकील, सिपाही और भिश्ती लौंडियों की तरह घर में घुस जायेंगे।
इस तर्क में विजेता को हारनेवालों से जो सत्कार मिलना स्वाभाविक है, वह हामिद को भी मिला।
अंत में हामिद ने हारने वालों के आँसू पोंछे और कहता है— मैं तुम्हे चिढ़ा रहा था, चिमटा खिलौनों की क्या बराबरी करेगा।
चिपका हुआ टिकट अब पानी से नहीं छूट रहा है। अर्थात हामिद के दिलासे से हारने वाले संतुष्ट नहीं हो पा रहे थे।
लौटते हुए रास्ते में महमूद ने केले खरीदे और उसमें सिर्फ हामिद को साझी किया।
ईदगाह और मेले से सभी लोग ग्यारह बजे गाँव में लौटे थे।
मोहसिन की बहन ने भिश्ती तोड़ दिया।
नूरे का वकील पंखे की हवा या झटके से गिर कर टूट गया।
महमूद को ठोकर लगी और उसका सिपाही भी नीचे गिर गया, उसकी टाँगो में विकार आ जाता है। महमूद टाँग जोड़ने के लिए गूलर का दूध लाना चाहता है।
महमूद का सिपाही सन्यासी हो गया है।
अमीना हामिद के हाथ में चिमटा देखकर चौंक जाती है। जब हामिद ने बताया उसने चिमटा खरीदा है तो उसने छाती पीट ली।
हामिद अपराधी भाव से कहता है— तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं, इसलिए मैने इसे लिया।
यह सुनकर अमीना का गुस्सा स्नेह में बदल जाता है, जो मूक स्नेह था।
बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमना बन गयी। हामिद को दुआएं देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता।
UGC NET JRF Hindi का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम
Net JRF इकाई 5 हिन्दी कविता
Net JRF इकाई-6 हिन्दी उपन्यास
Net JRF इकाई-7 हिन्दी कहानी
Net JRF इकाई-8 हिन्दी नाटक
Net JRF ईकाई 9 – हिन्दी निबन्ध
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