Study Material : नादान दोस्त कहानी का सारांश | Summary of the story Naadan Dost Class 6 (अध्याय – 3)
कहानी का परिचय (Introduction to the Story)
बच्चों कभी-कभी हमसे अनजाने में भूल हो जाती है। क्योंकि हमें पता नहीं होता हैं, क्या सही है, क्या गलत है। ऐसा ही आपके साथ भी होता है आपको सभी बातों का ठीक से नहीं पता होता है, क्योंकि आप छोटे बच्चे हो। ऐसे में आप कोशिश तो यह करते हैं, कि आप अपने काम सही करें, जिससे आपके माता-पिता खुश हों, लेकिन कभी-कभी नदानी में भूल हो जाती है। इसलिए आपको हमेशा कुछ भी नया करने से पहले अपने माता-पिता से इजाज़त ले लेनी चाहिए।
आज हम ऐसी ही कहानी की बात कर रहे हैं, जिसका नाम है, “नदान दोस्त”। यह कहानी वसंत कक्षा 6 अर्थात आपके पाठ्यक्रम में लगाई गई है। इस कहानी के लेखक प्रेमचंद हैं।
नादान दोस्त कहानी का सारांश | Summary of the story Naadan Dost
इस कहानी के मुख्य पात्र केशव और श्यामा हैं। इनके घर के सामने कॉर्निस पर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। दोनों भाई-बहन चिड़िया को वहाँ आते-जाते देखते थे, वह चिड़िया के अंडे भी देखना चाहते थे। लेकिन उनका कद छोटा होने के कारण देख नहीं पाते थे। उन्हें चिड़िया और उसके अंडो के प्रति इतना उत्साह था कि दूध और जलेबी भी खाना भूल जाते थे।
केशव और श्यामा सोचते – “अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? क्या खाते होंगे? अंडे से बच्चे कैसे निकलेंगे? उनके पंख कैसे निकलेंगे? घोंसला कैसा है?”
वे यह सब सवाल अपनी माता से नहीं पूछते थे, क्योंकि उनके पास घर के काम से फ़ुरसत नहीं थी। उनके पिता जी पढ़ते-लिखते रहते थे। वे दोनों ही आपस में सवाल-जवाब कर लेते थे, क्योंकि दोनों में से किसी को ठीक से नहीं पता था, उनके उत्तर अधूरे रह जाते थे।
केशव और श्यामा को यह चिन्ता होने लगी थी कि जब अंडे बच्चे बन जाएँगे तो चिड़िया उन्हे क्या खिलाएँगी, कैसे खिलाएँगी। कुछ दिन बीत गए बच्चों ने अनुमान लगाया कि बच्चे निकल गए होंगे।
बच्चों ने चिड़िया के बच्चों के दाने की चिन्ता करते हुए उनके लिए कॉर्निस पर थोड़ा दाना रखने का सोच लिया।
केशव ने पत्थर की प्याली में पानी भरा। एक टोकरी का इंतज़ाम किया जिससे चिड़िया के अंडो को धूप न लगे। एक दिन दोपहर में अम्मा (माता) के सो जाने पर केशव और श्यामा दोपहर में बाहर लिकल आए। केशव स्टूल पर चढ़ गया, उसने अंडो को देखा, जैसे ही वह स्टूल पर चढ़कर अंडो के पास गया, चिड़िया वहाँ से उड़ गई। उसने श्यामा को बताया यहाँ 3 अंडे हैं, बच्चे नहीं हैं।
केशव ने देखा अंडे तिनकों पर पड़े हैं, उसने तुरन्त एक कपड़े की गद्दी बनाई और उसे तिनको के ऊपर रख कर बच्चे उसके ऊपर रख दिए।
धूप से छाया करने के लिए टोकरी भी रख दी। कैशव ने एक प्याली चावल भी टोकरी के नीचे रख दी।
श्यामा ने अंडे देखने की ज़िद की लेकिन केशव ने नहीं दिखाया। दोनों चिड़िया कॉर्निस के पास आती और बिना बैठे वहाँ से उड जाती थीं।
इतनी देर में केशव और श्यामा की माँ बाहर आ जाती हैं, उन्हें अन्दर ले जाती है। दोनों अन्दर जाकर सो गए।
चार बजे लगभग श्यामा की नींद खुली तो उसने बाहर आकर देखा तो अंडे नीचे टूटे पड़ थे। पानी की प्याली भी टूटी पड़ी थी।
उसने केशव से पूछा – बच्चे कहाँ गए। केशव ने बताया अंडे फूट गए यही तो दो-चार दिन में बच्चे बन जाते।
दोनों की माँ फिर गुस्से से बाहर आई, दोनो फिर से बिना पूछे बाहर आ गए। श्यामा ने कहा – अम्मा जी, चिड़िया के अंडे टूटे पड़े हैं।
माँ ने कहा – तुम लोगों ने अंडो को छुआ होगा? यह सुनकर श्यामा ने केशव बता दिया कि केशव ने स्टूल पर चढ़कर बच्चो को छुआ था।
यह सुनकर माँ ने बताया कि चिड़िया के अंडे छूने से गंदे हो जाते हैं, इसलिए फिर चिड़िया उन्हें नहीं सेती।
जब केशव ने दुखी होकर कहा, मैंने तो सिर्फ अंडो को गद्दी पर रखा था, तो माँ को हँसी आ जाती है। केशव को कई दिनों तक उन अंडो के टूटने का दुख रहता है। उसके बाद वह चिड़िया वहाँ कभी दिखाई नहीं दी, जिसके वह अंडे थे।
निष्कर्ष (Conclusion)
कभी-कभी भला करने की कोशिश में हम अपनी मासूमियत में बुरा कर देते हैं, इसलिए जब भी कभी कुछ करने जाएँ, अपने किसी बड़े या माता-पिता से सलाह ले लेनी चाहिए।
- study material : बिस्कोहर की माटी का सारांश व समीक्षा | Summary and Review of Biskohar Ki Mati
- Study Material : जूझ आत्मकथा का सारांश व समीक्षा | Summary and Review of Jujh Autobiography
- Study Material : सिल्वर वैडिंग कहानी का सारांश व समीक्षा | Summary and Review of the Story Silver Wedding
- Study Material : कुटज निबन्ध का सारांश व समीक्षा | Kutaj (Hazari Prasad Dwivedi) Summary and Review
- Study Material : भारत दुर्दशा नाटक का संक्षिप्त सारांश, कथन व महत्वपूर्ण तथ्य | Brief summary, statements and important facts of the play Bharat Durdasha