IGNOU MHD- 3 | ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा लिखित कहानी अम्मा
कहानी का परिचय (Story Introduction)
अम्मा कहानी ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा लिखी गई है। वर्तमान में यह कहानी MHD 3 के पाठ्यक्रम में लगाई गई है। अम्मा कहानी की नायिका है, शादी के बाद किसी ने उसे नाम से नहीं पुकारा। किसी ने बहु कहा, किसी ने सुकडू की बहू कहा, अंत में बच्चो द्वारा उसे अम्मा पुकारा गया परिणाम स्वरूप इस कहानी का नाम अम्मा है।
ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा लिखित कहानी अम्मा का सारांश (Summary of story Amma written by Omprakash Valmiki)
यह कहानी अम्मा के इर्द-गिर्द घूमती है, अम्मा एक दलित महिला है। कहानी की शुरूआत में अम्मा एक वृद्ध महिला है, वर्तमान में अम्मा की आयु सत्तर से अस्सी के बीच है। अम्मा की शादी से लेकर बुढ़ापे तक की कहानी कहानीकार ने अतीत की बातें बताते हुए बताई है।
अम्मा जब शादी करके ससुराल आई तो अम्मा की सास ने उसे दूसरो के घर का काम करना सिखाया। अम्मा दलित महिला है परिणाम स्वरूप वह अमीर व उच्च जाती के लोगों के यहाँ उनके शौचालय साफ़ करती है। उसे यह काम करना अच्छा नहीं लगता था, लेकिन घर चलाने के लिए यह काम करना पड़ता था। पहले उसकी सास यह काम करती है, अब उसे यह काम करना पड़ता है इससे पता चलता है कि अम्मा का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी यही काम करता है।
अम्मा नहीं चाहती कि जो काम उसे मजबूरी में करना पड़ रहा है, भविष्य में उसकी संतानों को भी वही काम करना पड़े। इसके लिए अम्मा ने अपने तीनों बच्चो को विद्यालय पढ़ने भेजा। साथ ही कभी अपने बच्चों को वहाँ नहीं भेजा जहाँ वह यह काम करती है, यहाँ तक की जब उसकी तबीयत खराब हो जाती तब भी उसने अपने बच्चों को झाड़ू लेकर सफाई करने नहीं भेजा। अम्मा के दो बेटे हैं, और एक बेटी। अम्मा का पति सुकडू नगरपालिका में सफाई कर्मचारी था।
अम्मा पन्द्रह घरों में यह काम करती है, हर घर से उसे पांच रूपए मिलते थे। सबसे अधिक आमदनी उसे चोपड़ा के घर से मिलती थी। चोपड़ा सुबह काम पर जाता तो शाम को घर लौटता था। मिसेज चोपड़ा सारा दिन अकेले घर में रहती थी। उनके घर एक आदमी अकसर आता था, अम्मा को लगता था, वह कोई रिश्तेदार होगा। लेकिन एक दिन अम्मा ने मिसेज चोपड़ा और उस आदमी को अपत्तिजनक स्थिति में देखा परिणाम स्वरूप अम्मा को मिसेज चोपड़ा के घृणा हो गई थी। उस स्थिति के बाद अम्मा को मिसेज चोपड़ा पांच से स्थान पर दस रूपए देने लगी थी।
एक दिन मिसेज चोपड़ा बाथरूम में थी, वह आदमी जो उनके यहाँ हमेशा आता था, उसने अम्मा को अकेला पाकर उसे कसकर पकड़ लिया और उसके साथ अनैतिक व्यवहार करने का प्रयास किया परिणाम स्वरूप अम्मा ने उस आदमी को झाडू से बहुत मारा। उसी दिन चोपड़ा के घर का ठीकाना अर्थात उसके यहाँ सफाई करने का अधिकार उसने किसी और महिला को बीस रूपए में बेंच दिया।
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ठीकाना बेंच देने के कारण अम्मा की सास और पति उससे बहुत नराज़ हुए, लेकिन फिर अम्मा ने किसी के यह नहीं बताया की उसके साथ मिसेज चोपड़ा के यहाँ आखरी दिन क्या हुआ, जिसके कारण उसे वह ठीकाना बेंचना पड़ा।
अम्मा का बड़ा बेटा बड़े होने के बाद शिवचरण सरकारी नौकरी पर लग गया। जिसने उसकी नौकरी लगवाई थी, उसे शिवचरण को अपनी सैलरी में से कुछ प्रतिशत नौकरी लगवाने वाले ठेकेदार को देना पड़ता था। कुछ ही दिनों में शिवचरण की जान-पहचान नगर पालिका में बहुत लोगों से हो गई परिणाम स्वरूप शिवचरण ने भी ठेकेदार की तरह कमीशन लेकर नौकरी लगवाना शुरू कर दिया। यह बात अम्मा को किसी ने बता दी, परिमाण स्वरूप अम्मा अपने बेटे से बहुत नराज़ हुई और उसे अलग खाने-बनाने के लिए कह दिया।
अम्मा के छोटे बेटे बिसन की नौकरी थोड़ी देर से लगी। बिसन की नौकरी लगते ही अम्मा ने बिसन और अपनी बेटी किरणलता की शादी कर दी।
वैसे तो अम्मा ज़िन्दगी में हमेशा उतार-चढाव देखती रही, लेकिन बिसन के बेटे मुकेश ने उसे भावनात्मक रूप से आहत किया। मुकेश ने कॉलेज तक की शिक्षा प्राप्त कर ली, उसके बाद भी उसे नौकरी नहीं मिली, परिणाम स्वरूप वह तनाव में रहने लगा। इसी बीच उसकी मुलाकात एक स्कूल टीचर महिला से हुई, जिसके दो बच्चे हैं और पति से अलग रहती है। परिणाम स्वरूप सुबह से शाम तक मुकेश उसी के घर रहने लगा था। एक दिन बिसन ने मुकेश से महिला टीचर के बारे में पूछ लिया। मुकेश ने बिसन से तो कुछ नहीं कहा, लेकिन अपनी दादी यानी अम्मा से सब कह दिया। जिसे सुनकर अम्मा बहुत दुखी हुई, बिना मुकेश से कुछ कहे लेट गई।
अगले दिन अम्मा सुबह-सुबह काम पर चली गई और सारा दिन घर से बाहर ही रही। सब परेशान हो गए कि अम्मा घर क्यों नहीं आई। जब रात को अम्मा घर आई तो बिसन ने कहा तुम अब यह काम छोड़ दो, लेकिन अम्मा ने यह कहकर मना कर दिया कि अगर मैंने काम छोड़ दिया तो आश्रित हो जाऊँगी। जब कभी किरन के बच्चे आएँगे तो उनके हाथ में कुछ रखने के लिए भी माँगना पड़ेगा और कब तक मैं किसी से कुछ माँगूगी।
बड़े बेटे की पत्नी ने कहा मुकेश की शादी करा दो, लेकिन अम्मा ने कहा मैं किसी लड़की ज़िन्दगी ख़राब नहीं करूँगी। परिणाम स्वरूप अम्मा ने अपने जीते जी मुकेश की शादी करने से मना कर दिया।
बिसन से अम्मा ने कहा अगर वह उससे शादी कर लेता और बहू बनाकर अपने घर लाता तो मैं स्वीकार कर लेती, लेकिन उसने यह सही नहीं किया। मुकेश के कारण अम्मा के वह ज़ख्म हरे हो गए तो मिसेस चोपड़ा और उसके घर आने वाले आदमी के वजह से अम्मा के मन पर बने थे।
अम्मा कहानी की समीक्षा (Amma Story Review)
यह कहानी इस बात को दर्शाती है कि दलीत को पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही काम करना पड़ता रहा है, जिसे करना उसे बिल्कुल पसंद नहीं है। क्योंकि वह कुछ और काम करे यह समाज को स्वीकार नहीं होगा परिणाम स्वरूप उच्च जाति वालों के घर सफाई करने ही जाना पड़ता था। अम्मा के पति को भी सफाई कर्मचारी की ही नौकरी मिली थी।
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अज़ादी के बाद समाज में बदलाव हुए हैं, दलितों ने भी शिक्षा हंसिल की है, और सम्मान पूर्वक नौकरियाँ भी पाई हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा है। अम्मा के संघर्ष के परिणाम स्वरूप ही उसके तीनों बच्चे पढ़ पाए और दोनों बेटो को सम्मान सूचक नौकरी भी मिली।
अम्मा एक ऐसा किरदार है, जो स्वाभिमान पूर्वक जीवन जीना चाहती है। उम्र के अंतिम पडाव में भी वह अपने बेटे पर भी निर्भर नहीं रहना चाहती और नौकरी करती रहती है। अम्मा को इस बात की संतुष्टि है कि उसके बाद उसके परिवार की किसी महिला ने झाडू नहीं उठाया और कोई ऐसा काम नहीं किया जिसके परिणाम स्वरूप उच्च जाति के लोग उन्हें अछूत मानते हैं।
अम्मा के तीनों बच्चो ने शिक्षा हंसिल की यह अम्मा के संघर्ष का परिणाम है। अंत में मुकेश के मामले में वह असफल हो गई इसका उसे बहुत दुख है।
Sunaina
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