Ignou Study Material : MHD 10 प्रेमचन्द कहानी विविधा | MHD 10 Premchand Story Miscellaneous
कहानी का परिचय (Introduction to the Story)
अंजान पुरूष या महिला किसी भी व्यक्ति को भौतिक रूप से देख कर अनुमान लगाना समान्य बात है। लेकिन कभी-कभी व्यक्ति का भौतिक स्वरूप यर्थाथ को बता नहीं पाता है। ऐसे में जब कोई किसी व्यक्ति को देखकर सकारात्मक अवधारणा बनाएँ, तो जिसके लिए वह विचार बनाएँ गए हैं, उसका नुकसान नहीं होता। सकारात्मक के स्थान पर जब नकारात्मक विचार बनाएँ जाते हैं, जो यथार्थ के विपरीत है तो व्यक्ति का सामाजिक या मानसिक आदि नुकसान हो सकता है।
आज हम ऐसी ही कहानी का सारांश व समीक्षा आपके सामने लेकर आए हैं। कहानी का नाम मनोवृत्ति है, मनोवृत्ति का अर्थ होता है- मन की स्वाभाविक स्थिति। यह कहानी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है।
मनोवृत्ति कहानी का सारांश (Manovrtti Story Summary)
कहानी की शुरूआत गाँधी पार्क में सुबह-सुबह सो रही एक स्त्री से होती है, जो बैंच पर निश्चिंत होकर ऐसे सो रही है, जैसे वह अपने घर में हो। उसे वहाँ इस प्रकार सोता देखकर आते-जाते लोग उसे नकारात्मक दृष्टि से देख रहे हैं।
वृद्ध जवान सब उसे देख रहे हैं, बूढ़े चिन्ता – भाव से देख रहे हैं। जवान रहस्यभाव से देख रहे हैं, महिलाएँ लज्जा भाव से देख रही हैं, परिणाम स्वरूप उस युवती की निन्दा कर रही हैं। उन्हें लग रहा है भारतीय संस्कृति पर पश्चिम सभ्यता का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
वसंत और हाशिम नाम के दो युवक वहाँ दौड़ने आए हैं, यह दोनों मित्र भी सो रही महिला के लिए अवधारणा बना लेते हैं, वसंत कहता है, मुझे कुलवधू लगती है क्योंकि उसने सिन्दूर लगा रखा है। हाशिम कहता है, मुझे वैश्या लगती है। वह दोनों हैरान है कि भारतीय महिलाएँ इतनी फॉर्वड होने लगी हैं। परिणाम स्वरूप दोनों अनुमान लगाते हुए तर्क-वितर्क करते हैं। अंत में अपनी-अपनी बात सही साबित करने के लिए शर्त लगाने को भी तैयार हो जाते हैं।
पार्क में दो वृद्ध पुरूष आते हैं, दोनों ने नकली दाँत लगवा रखे हैं, साथ ही दोनों ने चश्मा भी पहन रखा है। एक वकील है, दूसरा डॉक्टर है। सोती हुई महिला को देखकर वकील कहता है, यह बीसवीं सदी की करामात है, डॉक्टर कहता है, हिन्दुस्तान दुनिया से अलग नहीं है। अर्थात पश्चिम में यह आम बात है, भारत भी पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित हो रहा है। वकील इस आयु में भी शादी करना चाहता है, लेकिन उसका बड़ा बेटा यशवंत मना करता है, वह ऐसा विरोध करता है कि वकील अपने बेटे से बहुत डरता है। आज इस महिला को देखकर दोनों में बातचीत हो रही है। एक वकील डॉक्टर से कहता है कि वह इस महिला से उसकी बात पक्की करा दे। वे भी इसे वैश्या समझ रहे हैं। इसी तरह दोनों बाचतीत करते करते आगे निकल जाते हैं।
मोटर (गाड़ी) से दो महिलाएँ उतरती हैं, एक वृद्धा है, एक युवती है, जिसका मीनू नाम है। वह दोनों भी इस महिला के लिए बाकी लोगों की तरह गलत धारणा बना लेती हैं। उनमें से एक महिला कहती है, यह बेहयाई है, मैं पर्दा नहीं चाहती, लेकिन यह जो हो रहा है यह भी नहीं चाहती हूँ। वह कहती है, खुद को छिपाकर पुरूष को जितना जितना आसन है, उतना दिखा कर नहीं है। अर्थात वह रूढ़िवादिता का विरोध करती है, लेकिन भारतीय संस्कृति को न छोड़ने की बात भी करती है।
वृद्धा मीनू से कहती है, उसे उठा दे वह अपने घर जाए। वह युवती को देवीजी कहकर जागाती है, युवती आँखे खोल लेती है। आँखे खुलते ही उसे आश्चर्य हुआ कि वह सो गई थी। उसने दोनों महिलाओं से बताया की उसे चक्कर आ रहा था, तो वह बैंच पर बैठ गई। फिर उसे होश नहीं रहा, पता नहीं कब सो गई। उसने बताया की अभी भी उसे कमज़ोरी है, उठेगी तो शायद गिर पडेगी।
बाततीत के दौरान उसने बताया वह डॉ. श्यामनाथ उसके ससुर हैं। मीनू ने बताया वह तो अभी इधर से गए हैं, युवती ने उत्तर में कहा – लेकिन वह मुझे पहचान नहीं सकते क्योंकि मेरा गौना (वह रसम जिसके बाद बहू ससुराल आती है) नहीं हुआ है। मीनू ने पूछा इसका अर्थ है तुम वसन्तलाल की पत्नी हो? युवती ने अपनी बताया हाँ। मीनू ने कहा वह तो यही हैं, मैं उन्हें ही अवाज़ दे देती हूँ। मीनू वसन्तलाल को यूनिवर्सिटी से जानती है। युवती ने मना कर दिया, उसने कहा थोड़ी देर में ठीक हो जाऊँगी और चली जाऊँगी।
उसने अपने घर जाने का पता बेगमगंज में मिस्टर जयरामदास के यहाँ बताया। परिणाम स्वरूप दोनों महिलाएँ उसे उसके घर पहुँचाने चली जाती हैं। यहीं पर कहानी समाप्त हो जाती है।
मनोवृत्ति कहानी की समीक्षा ( Manovrtti Story Summary Review)
कहानी के अनुसार पूर्वाग्रह बनाने वालों का लेखक ने विरोध किया है। वैसे तो यह लगभग सौ वर्ष पूर्व की कहानी है, लेकिन वर्तमान में भी यदि राह चलते कोई व्यक्ति अस्वस्थ है तो उसकी सहायता करने के स्थान पर समाज उसका परिहास करता है। कभी-कभी विडियो बनाकर शोशल मीडिया पर अपलोड करके उसे अपमानित करता है। कहानी के परिणाम स्वरूप कहा जा सकता है, जैसा दिख रहा है, यथार्थ वैसा ही हो यह आवश्यक नहीं है। पुष्टि किए बिना पूर्वाग्रह के आधार पर कोई बात नहीं फैलानी चाहिए। जैसा की इस कहानी में देखने को मिलता है, युवती कुलवधू है, उसे उसके पति और ससुर नहीं पहचान पा रहे हैं, परिणाम स्वरूप वह भी उसके लिए अनैतिक विचारों से ग्रसित हैं।
भारतीय समाज में पहले विवाह बाल्यवास्था यानी 5 से 10 वर्ष के बीच हो जाता था। गौना किशोरावस्था में या युवावास्था में होता था। लड़की अपने ससुराल गौना होने के बाद ही जाती थी। अर्थात इस कहानी में वसन्त और युवती का विवाह हुए कई साल बीत चुके थे, उन्होंने युवती को देखा नहीं था। परिणाम स्वरूप वह वसन्त अपनी पत्नी और डॉक्टर अपनी बहू को नहीं पहचान पाए।
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