IGNOU MHD- 3 | भीष्म साहनी द्वारा लिखी कहानी चीफ की दावत का सारांश
चीफ की दावत कहानी का परिचय (Introduction to The Cheeph Kee Daavat Story)
समान्य तौर पर जब किसी घर में कोई मेहमान आता है या आने वाला होता है, तो मेहमान के उपलक्ष्य में व्यक्ति अपने पूरे घर कि विषेश रूप से सफाई करता है। ऐसे में यदि आने वाला मेहमान चीफ (boss) हो तो तैयारियाँ और ज़्यादा की जाती हैं। घर की सफाई करने के लिए घर के समान को इधर-उधर रखना या पुराने समान को नए समान से बदल देना समान्य बात है। यदि घर साफ़-सुथरा और दिखाने के लिए घर के किसी सदस्य को किसी पुराने समान की तरह छुपाया जाए, तो उस सदस्य की मनोवैज्ञानिक रूप से क्या स्थिति होगी जिसे छुपाया जा रहा है?
हम बात कर रहें हैं, भीष्म सहानी द्वारा लिखी कहानी चीफ की दावत की। कहानी का मुख्य किरदार मिस्टर शामनाथ अपनी माँ के साथ ऐसा ही व्यवहार करता है, जैसे किसी मेहमान के आने पर पुराने समान के साथ करते हैं।
चीफ की दावत कहानी के पात्र
1 शामनाथ – मध्यवर्गीय नौकरी पेशा व्यक्ति है, जो अपनी जीवनशैली में दिखावा बहुत करता है। प्रमोशन पाने के लिए चीफ को प्रसन्न करना चाहता है। बूढ़ी माँ को फालतू वस्तु जैसा समझता है, अंत में चीफ को खुश करने के लिए अपनी माँ से ही स्वार्थ की पूर्ति भी करता है।
2 बूढ़ी माँ – शामनाथ की निरक्षर विधवा माँ जिसके पास पारंपारिक भारतीय माता का विराह हृदय है। खड़ाऊँ पहनती है और बीमारी के कारण खर्रांटे लेती है, जिससे शामनाथ को चिढ़ है। चीफ से मिलने से डरती है, उसे डर है उसका बेटा बुरा मान जाएगा। बेचे री तरक्की के लिए कमज़ोर आँखे होने के बाद भी फुलकारी बनाने के लिए तैयार हो जाती है। फुलकारी पंजाब के गावों की दस्तकारी का एक सुंदर रूप है।
3 चीफ – शामनाथ के ‘बॉस’ जिसकी वह खुशामद करता है। चीफ को गाँव के लोग बहुत पसंद हैं, शामनाथ की माँ से गीत सुनने की इच्छा प्रकट करता है।
4 शामनाथ की पत्नी – यह भी दिखावा करती हैं, पति की तरक्की के लिए खुशामदी में शामिल हो जाती हैं।
5 चीफ की पत्नी – अन्य देशी महिलाओं के आराधना का केंद्र हैं।
चीफ की दावत कहानी का सारांश (Summary of Cheeph Kee Daavat Story)
मिस्टर शामनाथ कहानी के मुख्य किरदार हैं, इन्हीं के इर्द-गिर्द कहानी घूमती है। कहानी में आज मिस्टर शामनाथ के यहाँ उनके चीफ (बोस) आने वाले हैं, परिणाम स्वरूप वह और उनकी पत्नी मिलकर पूरा घर सभ्य और अनुधिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप घर का कोन-कोना चमकाया जा रहा है, इन्हीं काम के दौरान मिस्टर शामनाथ को अपनी माँ का ख्याल आया। वह और उनकी पत्नी विचार करने लगे कि माँ को कहाँ रखना है, दोनों ही माँ को अड़चन समझने लगे।
मिस्टर शामनाथ अपनी पत्नी से कहते हैं, माँ भाई के पास जा रही थी, लेकिन तुम्हीं ने रोक लिया। पत्नी कहती है, मैं माँ-बेटे के बीच बुरी नहीं बनूँगी। पत्नी माँ को किसी सहेली के घर भेजने का सुझाव देती है, लेकिन मिस्टर शामनाथ यह कहते हुए मना कर देते हैं कि मैं नहीं चाहता उसका फिर से हमारे यहाँ आना-जाना शुरू हो जाए। विचार किया गया माँ को जल्दी सुला दिया जाए, लेकिन पत्नी ने कहा उनके खर्राटे की अवाज बरामदे तक आती है।
मिस्टर शामनाथ अपनी माँ के पास गया और माँ से उनके अच्छे कपड़े और गहने पहनने को कहा। माँ ने बताया गहने तो तुम्हारी पढ़ाई के लिए बेंच दिए थे। यह सुनकर शामनाथ माँ से गुस्से में कहता है, गहने गए हैं, तो कुछ बनकर ही आया हूँ, जितना दिया था उससे दुगना ले लेना। जिसे सुनकर माँ ने कहा यूँ ही यह बात निकल गई, साथ ही माँ बहुत दुखी हो गई। माँ वृद्ध है, कमज़ोर है, उनके पास बहुत अच्छे कपड़े या गहने नहीं है परिणाम स्वरूप शामनाथ ने माँ को अपने चीफ के सामने आने से मना कर दिया। साथ ही रात में जल्दी सोने से भी मना कर दिया, ताकि उनके सोने की अवाज़ चीफ को सुनाई न दे। शामनाथ ने यह भी कहा अगर साहब इधर आ जाए और कुछ पूछे तो ठीक से जवाब देना।
शाम होते ही माँ घबराने लगी और सोचने लगी अगर साहब उनके पास चले गए और कुछ पूछने लगे तो क्या उत्तर देगी। चीफ घर आए तो, उन्हें व्हिस्की पसंद आई, मेमसाहब को घर की चीज़े पसंद आई थी। पीते-पीते लगभग दस बज गए, परिणाम स्वरूप सब खाना खाने के लिए निकले, अचानक शामनाथ की नज़र बरामदें में कुर्सी पर बैठी अपनी माँ पर पड़ी। माँ की आँख लग गई थी, जिसे देखकर शामनाथ माँ के साथ अनेतिक व्यवहार करते हुए वहाँ से उठा देना चाहता था, लेकिन चीफ के सामने कुछ कर नहीं सकता था।
चीफ ने माँ से हाथ मिलाया, माँ ने हाथ मिलाने के लिए अपना उल्टा हाथ बढ़ा दिया परिणाम स्वरूप शामनाथ और ज़्यादा गुस्सा हो गया। जैसा शामनाथ ने सोचा था बिल्कुल उसका उल्टा हुआ, चीफ को माँ से मिलकर बहुत अच्छा लगा। चीफ ने माँ से गाना सुनने की इच्छा ज़हिर की, साथ ही उनसे उनके जीवन परिवेश के बारे में बात करने लगे। परिणाम स्वरूप माँ ने पुराना विवाह का लोकगीत सुनाया। साहब ने पंजाब की दस्तकारी के बारे में माँ से पूछा। परिणाम स्वरूप साबह को फुलकारी के बारे में बताया गया, जो माँ ने अपने हाथों से बनाई थी। साहब फुलकारी का मतलब नहीं समझे तो माँ के हाथ से बनी पुरानी फुलकारी लाकर साहब को दिखाई गई।
फुलकारी साहब को इतनी पसंद आई की उन्होंने माँ से उनके लिए नई फुलकारी बनाने की इच्छा ज़ाहिर कर दी। माँ ने कहा अब उन्हें दिखाई नहीं देता। माँ की बात अनसुनी करते हुए शामनाथ ने चीफ से कह दिया की माँ फुलकारी ज़रूर बना देंगी। यह सुनकर चीफ खाने की टेवल की तरफ चले गए और माँ चुपचाप अपनी कोठरी में चली गई।
कोठरी में आते ही माँ लगातार रो रही थी, और अपने बेटे की तरक्की और लम्बी उम्र की लगातार दुआ करती जा रही थी। आधी रात को अचानक शामनाथ माँ के कमरे में आया, बेटे के आते ही माँ घबरा गई। माँ के दरवाज़ा खोलते ही बेटे ने माँ को गले से लगा लिया, माँ ने बेटे से कहा तुम मुझे हरिद्वार भेज दो। यह सुनकर शामनाथ गुस्से में बोला माँ तुम मुझे बदनाम करना चाहती हो, उसके अनुसार लोग कहेंगे माँ का ख्याल भी नहीं रख सका।
शामनाथ ने कहा तुम चली जाओगी तो फुलकारी कौन बनायेगा? साहब से फुलकारी बनाने का इकरार किया है। माँ ने कहा आँखे काम नहीं करती कहीं और से बनवा लो। शामनाथ ने कहा तुम फुलकारी बनाओगी तो साहब देखने आयेंगे, और फुलकारी देने से मुझे तरक्की मिलेगी, मैं बड़ा अफसर बन जाऊँगा। बेटे की तरक्की की बात सुनते ही माँ ने कहा मैं बना दूँगी जैसे बन पड़ेगा मैं बना दूँगी।
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