Study Material : सैलानी बन्दर
कहानी का परिचय (Introduction to the Story)
अपने जीवन में सब ने कभी न कभी कहीं न कहीं बंदर का खेल जरूर देखा होगा। मदारी मोहल्ले में बंदर लाता है, और बंदर खेल दिखाता है। उसके बदले में खेल देखने वाले कभी अपने अपने घरों से समान लाकर मदारी को देते हैं या रूपए लाकर देते हैं। लेकिन क्या कभी यह विचार किया है कि मदारी बन्दर को अपने बेटे के समान प्रेम करे।
आज हम बात कर रहे हैं, ऐसी ही एक कहानी की। कहानी का नाम है सैलानी बन्दर, यह कहानी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गई है।
सैलानी बन्दर कहानी का सारांश (Summary of Sailanee bandar Story)
इस कहानी में जीवनदास नाम का एक व्यक्ति है, जो मदारी है। उसकी पत्नी का नाम बुधिया है, जीवनदास और बुधिया दोनों मन्नू (बन्दर) को अपनी संतान की तरह प्यार करते हैं। मन्नू भी बुधिया और जीवनदास को अपना सब कुछ मानता है। मन्नू के भोजन के लिए विषेश प्रकार का मिट्टी का प्याला है, उसे ओढ़ने के लिए कम्बल है।
जीवनदास जब उसे खेल दिखाने ले जाता तो मन्नू ऐसा खेल दिखाता की दर्शकवृन्द मुग्ध हो जाते हैं। बदले में वह मन्नू को फल, मिठाई जो सम्भव होता वह सब देते। मन्नू को कूत्तो से चिढ़ थी, कुत्ते भी मन्नू से डरते थे।
एक दिन मन्नू को शरारत करने का मन हुआ, वह दोपहर में बुधिया को बिना पता लगे ही घर से बाहर निकल गया। बाहर जाकर उसने एक पुलिस वाले के बाग में मन भर फल खाए और बहुत सारे फल यूँ ही तोड़ कर बरबाद भी कर दिए। आंवलें, कटहल, लीची, आम, पपीते सब इधर-उधर फैंक दिए। मन्नू पेड पर चढ़ गया, माली ने उसे उतारना चाहा लेकिन वह नहीं उतरा। बहुत सारे बच्चे इक्ट्ठे हो गए। माली ने यह बात अपने मालिक को बता दी।
बाग के मालिक ने मन्नू पर बंदूक तान दी, जिसे देखकर वह बहुत डर गया। उसे बाँध लिया गया, मन्नू को बाँधा देखकर घर का कुत्ता उसे लगातार भौंके जा रहा था, अर्थात मौका पाकर कुत्ता मन्नू को डरा रहा था। उधर बुधिया मन्नी को खोजने लगी।
मदारी को जब पता चाल तो वह मन्नू को लेने साहब के घर पहुँच गया। विनती की लेकिन साहब ने मन्नू को छोड़ने से मना कर दिया। उन्होंने ने मन्नू को छोड़ने के लिए रूपए माँगे जो जीवनदास के पास नहीं थे। उसके बाद मदारिन गई उसने कहा वह सरकार से भीख माँगने आई है, लेकिन साहब का दिन नहीं पिघला और उसने दस रूपए लिए बिना मन्नू को छोड़ने से मना कर दिया।
एक दिन सर्कस कम्पनी का मैनेजर साहब के यहाँ आया। मन्नू को लगा शायद वह उसकी मदद कर देगा, अपनी तरफ से मन्नू ने उसके आगे विनती की। मैनेजर समझ गया कि यह पालतू जानवर है। उसने साहब को उचित मूल्य देकर खरीद लिया, लेकिन मन्नू इस बार और बड़ी परेशानी में पड़ गया।
मन्नू को अब नई विद्या सीखनी पड़ी। लगातार उसे मार पड़ती थी, खाने के लिए भी उसे पेट भर नहीं मिलता। उसे कई बार यह ख्याल आता कि वह जीवनदास के पास चाल जाए, लेकिन मौका नहीं मिलता। इस प्रकार तीन महीने बीत गए।
एक दिन गैस की नली फट जाने से सर्कस के पंडाल में आग लग गई। लगभग सभी जानवर अपनी जान बचाने के लिए भाग निकले, इसी मौके पर मन्नू भी भाग गया। अपने घर जा पहुँचा, उसे उसके घर पर कोई नहीं मिला। मुहल्ले वाले पहचान गए की यह मन्नू है।
बुधिया इधर-उधर घुमने लगी, उसने अपना मनसिक संतुलन खो दिया। बच्चे उसे पगली नानी कर कर चिढ़ाने लगे। मन्नू ने बुधिया को देखा तो पहचान गया, बुधिया ने मन्नू को देखा तो ठीक हो गई। उसने रो-रोकर अपनी सारी दुखद कथा मन्नू को सुनाई। जीवनदास मन्नू के वियोग में स्वर्ग सिधार गया और बुधिया पागल हो गई।
मन्नू बुधिया का पूरा ख्याल रखने लगा। वह बाहर जाकर खेल दिखाता, कोई जो कुछ दे देता प्यार से ले लेता। लाकर बुधिया को दे देता। अब फिर से कभी मन्नू किसी से भिड़ने की कोशिश नहीं करता। इस प्रकार मन्नू और बुधिया दोनों एक दूसरे का सहारा बनकर जीवन व्यतीत करने लगे और यहीं पर कहानी समाप्त हो जाती है।
- study material : संवदिया कहानी का सारांश | Summary of the Story Samvadiya
- study material : प्रेमघन की छाया स्मृति का सारांश व समीक्षा | Summary and Review of Premghan kee chhaaya smrti
- Study Material : सूरदास की झोपड़ी का सारांश व समीक्षा | Summary and Review of Surdas Ki jhppadi
- study material : अपना मालवा-खाऊ उजाडू सभ्यता सारांश व समीक्षा | Summary and Review Apana Maalava
- study material : बिस्कोहर की माटी का सारांश व समीक्षा | Summary and Review of Biskohar Ki Mati