UGC Net JRF Hindi : दुनिया का सबसे अनमोल घटना व संवाद | Incident And Dialogue Duniya Ka Sabase Anamol Ratan
कहानी (Story)
दिलफिगार दिलफरेब से प्रेम करता है, लेकिन दिलफरेब उसके प्रेम को स्वीकार करने के लिए दुनिया की सबसे अनमोल चीज लाने को कहती है। परिणाम स्वरूप दिलफिगार तीन चीजे लेकर आता है- चोर के आँसू, सती स्त्री की राख, और देशप्रेम में जान देने वाले सिपाही के खून का आखिरी कतरा। दिलफरेब खून के कतरे को बेशकीमती चीज़ मानकर दिलफिगार के प्रेम को स्वीकार कर लेती है, और कहानी का अंत हो जाता है। इस स्थिति के माध्यम से प्रेमचंद ने देश प्रेम को सबसे बड़ा प्रेम दिखाने का प्रयास किया है।
दुनिया का सबसे अनमोल घटना व संवाद | Incident And Dialogue Duniya Ka Sabase Anamol Ratan
1) कँटीले पेड़ के नीचे बैठकर खून के आँसू दिलफ़िगार बहा रहा था।
2) सौन्दर्य की देवी यानी मलका लेखक ने दिलफ़रेब को कहा है।
3) दिलफ़रेब ने कहा था, अगर अनमोल चीज़ ले आया तो गुलामी में क़बूल कर लूँगी। नहीं लाया तो सूली पर खिंचवा दूँगी।
4) दिलफ़िगार सोचता है- मैं समुंदर का गीत, पत्थर का दिल, मौत की आवाज़ और इनसे भी ज़्यादा बेनिशान चीज़ों की तलाश में कमर कस सकता हूँ। मगर दुनिया की अनमोल चीज मेरी समझ से बाहर है।
5) नंगे बदन, थकन से चूर, वह बरसों वीरानों और आबादियों की खाक छानता फिरा, तलवें काँटों से छलनी हो गए।
6) इस अभागे आदमी का दामन सैकड़ों बेगुनाहों के खून के छींटों से रंगीन था और उसका दिल नेकी के ख़याल और रहम की आवाज़ से जरा भी परिचित न था। उसे काला चोर कहते थे।
7) एक ख़ूबसूरत भोला-भाला लड़का एक छड़ी पर सवार होकर अपने पैरों पर उछल-उछल फ़र्जी घोड़ा दौड़ा रहा था और अपनी सादगी की दुनिया में ऐसा मगन था कि जैसे वह इस वक़्त सरमुच अरबी घोड़े का शहसवार है।
उसका चेहरा उस सच्ची ख़ुशी से कमल की तरह खिला हुआ था जो चन्द दिनों के लिए बचपन में ही हासिल होती है और जिसकी याद हमको मरते दम तक नहीं भूलती।
8) काला चोर – उस लड़के के पास आया और उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगा। उसे ज़माना याद आ गया जब वह खुद बच्चा था।
9) दिलफ़िगार सबसे पहले काले चोर के आँसू को दुनिया की अनमोल चीज़ समझकर दिलफ़रेब के पास लेकर जाता है।
10) काले चोर के आँसू को लेकर दिलफ़रेब दिलफ़िगार की तारीफ करती है, कहती है – तेरी हिम्मत और तेरी सूझ-बूझ की दाद देती हूँ। सबसे अनमोल चीज़ न मानते हुए भी उसकी जाँबख्शी कर देती है। उसके अनुसार दिलफ़िगार में वह गुण मौजूद हैं, जो वह अपने प्रेमी में देखना चाहती है।
11) इस कहानी में पर्दा प्रथा का भी चित्रण किया गया है।
12) जब बिना चेहरा दिखाए दिलफ़रेब उसे (दरबार) कूचे से बाहर निकलवा देती है, तो दिलफ़िगार प्रेमिका की कठोरता पर आँसू बहाता है।
13) दिलफ़िगार सोचता है – मैं तो बेघरबार मुसाफ़िर हूँ। तुमने कितनी ही डूबती किश्तियाँ किनारे लगाई हैं, मुझ गरीब का बेड़ा भी पार करो। ईश्वर से प्रार्थना करता है।
14) शाम को नदी के किनारे चन्दन की एक चिता बनी हुई है, उस पर युवती सुहाग के जोड़े पहने सोलहो सिंगार किए बैठी है। मृत पति और जीवित पत्नी की चिता जला दी जाती है- इन्हीं की राख लेकर दिलफ़िगार दूसरी बार दिलफ़रेब के पास जाता है।
15) इस कहानी में सती प्रथा का भी चित्रण मिलता है।
16) जब दूसरी बार अनमोल चीज लेने के लिए दिलफ़रेब हाथ बढ़ाती है, तो दिलफ़िगार उसी चाँदी जैसी कलाई चूम लेता है। दिलफ़रेब राख को लोहे को सोना कर देने की सिफ़त है, दुनिया की बहुत बेशक़ीमती चीज़ स्वीकार करते खुद को सच्चे दिल से दिलफ़िगार का एहसानमंद बताती है, लेकिन उसे भी सबसे अनमोल चीज़ मानने से इंकार कर देती है।
17) दूसरी बार दिलफ़रेब अपना चेहरा दिलफ़िगार को दिखाती है।
18) दूसरी बार दरबार से निकाले जाने पर दिलफ़िगार आत्महत्या करने पहाड़ पर चढ़ जाता है।
19) बुजुर्ग ने हरे-हरे कपड़े पहने थे, हीर का अमामा बाँधी थी, एक हाथ में तसबीह और दूसरे हाथ में लाठी लिए उपस्थित हुआ था।
20) बुज़ुर्ग अनमोल चीज़ के लिए पूरब की ओर हिन्दोस्तान में भेजता है।
21) घालयल सिपाही खुद को माँ का बेटा और भारत का सपूत कहता है।
22) घायल सिपाही कहता है – तू मुसाफ़िर है तो आ और मेरे खून से तर पहलू में बैठ जा, क्योंकि यही दो अंगुल जमीन है जो मेरे पास बाक़ी रह गई है और जो सिवाय मौत के कोई नहीं छीन सकता।
23) घायल सिपाही कहता है – तेरा आतिथ्य सत्कार करने के योग्य नहीं। हमारे बाप-दादा का देश आज हमारे हाथ से निकल गया और इस वक़्त हम बेवतन हैं। मगर (पहलू बदलकर) हमने हमलावर दुश्मन को बता दिया कि राजपूत अपने देश के लिए कैसी बहादुरी से जान देता है।
23) मैं बेवतन हूँ, मगर ग़नीमत है कि दुश्मन की जमीन परमर रहा हूँ। घायल सिपाही अपने ही देश में गुलामी के लिए ज़िन्दा नहीं रहना चाहता है।
24) घायल सिपाही के खून के आखरी कतरे को दिलफ़रेब दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ स्वीकार कर लेती है।
25) दिलफ़िगार ने तीसरी बार दिलफ़रेब की मेहँदी-रची हथेलियों को चूमते हुए खून का वह कतरा उस पर रख देता है।
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