सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा ध्वनि काव्य की संप्रसंग व्याख्या | Contextual Interpretation of Dhvani Poetry by Suryakant Tripathi ‘Nirala’

Study Material, NCRT Class – 8,

ध्वनि काव्य का परिचय (Introduction to Dhvani Poetry)

अक्सर हम यह लोगों को यह कहते पाए जाते हैं कि दुनिया में कोई सुखी नहीं है। किसी को धन चाहिए, किसी को ज्ञान चाहिए, किसी को परिवार चाहिए, किसी के पास माता-पिता नहीं हैं, किसी को संतान चाहिए। परिणाम स्वरूप यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि प्रत्येक व्यक्ति को कुछ न कुछ चाहिए। जब किसी व्यक्ति की इच्छापूर्ति नहीं होती तो वह अपनी इच्छा पूर्ण करने के लिए चिंतित हो जाता है। परिणाम स्वरूप इच्छा पूर्ति न होना तनाव, दुख आलस्य का कारण बनती है।

हम बात कर रहे हैं सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित काव्य ध्वनि की। इस काव्य में सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी ने अपने जीवन का उद्देश्य निराश लोगों के जीवन से निराशा निकालना बताया है।

ध्वनि कविता व व्याख्या (dhvani poetry and interpretation)

अभी न होगा मेरा अंत

अभी-अभी ही तो आया है

मेरे वन में मृदुल वसंत-

अभी न होगा मेरा अंत।

प्रसंग

प्रस्तुत पंक्तियाँ कविता ‘ध्वनि’से हैं। इस काव्य के रचनाकार “सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला” हैं। काव्य का मुख्य उद्देश्य जीवन में आशा या सकारात्मक स्थिति पैदा करना है। कवि का मानना है कि व्यक्ति को जीवन के प्रति आशावादी रहना चाहिए।

व्याख्या (Explanation

कवि कहते हैं उनका अंत अभी नहीं होगा, क्योंकि अभी-अभी कवि के जीवन के अमृत रूपी वन में वसंत रूपी यौवन आया है। अर्थात – अभी उनका अंत नहीं होगा, क्योंकि वह आशावादी है। इस गुण की वजह से वह यह मानते हैं की अभी उनका अंत तब तक नहीं होगा जब तक वे अपने उद्देश्य की पूर्ती नहीं कर लेते। उनके जीवन में एक नये उत्साह और जोश का आगामन हुआ है, फिर से वसंत ऋतु में चारों तरफ फूलों की भरमार और उनकी खुशबु फैली है जोकि बहुत सुन्दर लगती है। परिणाम स्वरूप अभी उनका अंत नहीं होगा।


हरे-हरे ये पात,

डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।

मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर

फेरूँगा निद्रित कलियों पर

जगा एक प्रत्यूष मनोहर।

प्रसंग

प्रस्तुत पंक्तियाँ कविता ‘ध्वनि’से हैं। इस काव्य के रचनाकार “सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला” हैं। काव्य का मुख्य उद्देश्य जीवन में आशा या सकारात्मक स्थिति पैदा करना है। कवि का मानना है कि व्यक्ति को जीवन के प्रति आशावादी रहना चाहिए।

व्याख्या (Explanation)

ध्वनि कविता की इन पंक्तियों में कवि निराल जी ने प्रकृति का बहुत ही सुंदर चित्रण किया है। कवि कहते हैं कि चारो तरफ हरे-भरे पेड़ हैं और पौधों पर खिली कलियाँ मानो अब तक सो रही हैं। मैं सूरज को यहाँ खीच लाऊँगा और इन सोई कलियों को जगाऊँगा। इन पंक्तियों में कवि ने हारे हुए और निराश लोगों को सोई हुई कलियाँ कहा है। जिस प्रकार सूरज के आ जाने से सभी पेड़ पौधे और कलियों में जान आ जाती है, ठीक उसी प्रकार निराला जी अपने प्रेरणा रूपी सूर्य से निराश लोगों के मन में उत्साह और उल्लास भरना चाहते हैं। इस तरह ध्वनि कविता में जीवन से हार मान चुके लोगों को नई उम्मीद देना चाहते हैं।


पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,

अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,

प्रसंग

प्रस्तुत पंक्तियाँ कविता ‘ध्वनि’से हैं। इस काव्य के रचनाकार “सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला” हैं। काव्य का मुख्य उद्देश्य जीवन में आशा या सकारात्मक स्थिति पैदा करना है। कवि का मानना है कि व्यक्ति को जीवन के प्रति आशावादी रहना चाहिए।

व्याख्या (Explanation)

ध्वनि कविता की इन पंक्तियों में कवि वसंत रूपी उम्मीद वनकर, सोये अलसाए फूलों रूपी उदास लोगों से आलस और उदासी बाहर निकाल लेने की बात कर रहे हैं। वह इन सभी लोगों को नया जीवन देना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने कहा है कि मैं हर पुष्प से आलस व उदासी खींचकर, उसमें नए जीवन का अमृत भर दूँगा।


द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।

हैं मेरे वे जहाँ अनंत-

अभी न होगा मेरा अंत।

प्रसंग

प्रस्तुत पंक्तियाँ कविता ‘ध्वनि’से हैं। इस काव्य के रचनाकार “सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला” हैं। काव्य का मुख्य उद्देश्य जीवन में आशा या सकारात्मक स्थिति पैदा करना है। कवि का मानना है कि व्यक्ति को जीवन के प्रति आशावादी रहना चाहिए।

व्याख्या (Explanation)

ध्वनि कविता की इन पंक्तियों में कवि निराला जी कहते हैं कि मैं सोये हुए फूलों यानि निराश लोगों को जीवन जीने की कला सिखा दूँगा। फिर, वो कभी उदास नहीं होंगे और अपनी जीवन सुख से व्यतीत कर पाएंगे।

कवि का मानना है कि अगर युवा पीढ़ी परिश्रम करेगी, तो उसे मनचाहा लक्ष्य मिलेगा और इस आनंद का कभी अंत नहीं होगा। इस प्रकार, कवि कहते हैं कि जब तक थके-हारे लोगों और युवा पीढ़ी को सही राह नहीं दिखा देंगे, तब तक उनका अंत होना असंभव है।


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