Film Review : लापता लेडिज की कहानी व समीक्षा | Story and Review of Laapata ladies
लापता लेडिज क्यों देखें? (Why watch Laapata ladies)
वैसे तो वर्तमान में कहा जाता है, समाज आधुनिकता की ओर अग्रसर है, इसलिए हमारे संविधान में मौलिक अधिकार भी दिए गए हैं। जिसके परिणाम सवरूप महिलाओं को भी स्वतंत्रता और समानता का अधिकार प्राप्त हो चुका है। लेकिन क्या भारतीय समाज की परम्परा ने भारतीय संविधान को भारत के हर क्षेत्र में अपना लिया है?
1 क्या महिलाओं ने घुघट करना बन्द कर दिया है?
2 क्या महिलाएँ अपनी इच्छा से विवाह (जब चाहें) कर सकती हैं? या उनकी इच्छा के बिना समय से पहले ही उनका विवाह कर दिया जाता है?
3 क्या लड़कियाँ जब तक पढ़ना चाहती हैं, पढ़ पा रही हैं?
4 क्या भारत में दहेज प्रथा समाप्त हो गई है? या आज भी रीति-रिवाज़ और उपहारों के नाम पर दहेज दिया जाता है?
5 क्या अब विवाह के बाद महिलाएँ अपने ससुराल में सुरक्षित हैं या आज भी आग में जलाई जाती हैं।
6 कहा जाता है कि महिलाएँ अपने पति पर आर्थिक रूप से आश्रित होती हैं, लेकिन समाज का कोई कोना ऐसा तो नहीं जहाँ महिलाएँ नौकरी भी करती हैं, और घरेलू हिंसा का शिकार भी होती हैं। पति तो पति बेटा भी उनपर हाथ उठाता हो?
7 पुलिस प्रशासन में रिश्वत लेकर भ्रष्टाचार जीवित है, क्या इसके साथ-साथ उनमें मानवता भी बची है?
8 इन सब परिस्थितियों के बाद भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं, जिनके बिच महिलाएँ सुरक्षित भी हैं, और सम्मानित भी।
9 क्या समाज में ऐसे भी पुरूष मौजूद हैं, जो अपनी पत्नी के लापता हो होने पर उसे तलाश करते हैं, और मिलने पर उसका सम्मान भी करते हैं? और विश्वास भी?
आज हम बात कर रहे हैं, ऐसी ही फिल्म की। फिल्म का नाम लापता लेडिज है, यह फिल्म किरन राव द्वारा निर्देशित है। वैसे तो यह कॉमेडी फिल्म है, लेकिन इस फिल्ल का हर किरदार इतना सजीव है, कि उसने अपने किरदार से फिल्म को सार्थक बना दिया।
फिल्म की कहानी (Story of Laapata ladies)
इस फिल्म की शुरूआत फुलकुमारी की विदाई से होती है। बस में बैठकर दीपक अपनी पत्नी से भीड़ के कारण उससे उसके गहने उतरवा कर अपने पास रख लेता है। किसी रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ने के स्थान पर बीच रास्ते से ट्रेन में चढ़ते हैं।
ट्रेन में उसके अलावा शादी के दो नवविवाहित जोड़े मिलते हैं, जो आपस में दहेज में क्या मिला इसकी चर्चा करते हैं। एक महिला दीपक से पूछती है, तुमको क्या मिला? दीपक के उत्तर न देने पर कहती है, जरूर लड़के में कोई खोट होगी। अर्थात इसलिए उसे दहेज नहीं मिला।
अगले स्टेशन पर नवविवाहित का एक जोड़ा उतर जाता है, परिणाम स्वरूप बाकी लोग अपने बैठने का स्थान बदलते हैं। रात में अचानक दीपक का स्टेशन आ जाता है, जहाँ पहले उसकी पत्नी फूलकुमारी बैठी थी, वहीं अब जया बैठी है, घुंघट में होने के कारण वह अपनी पत्नी को ठीक से पहचान नहीं पाता और जया को ट्रेन से उतार लेता है।
जया दीपक को नहीं बताती कि वह उसकी पत्नी नहीं है, क्योंकि उसकी शादी बिना उसकी मर्ज़ी के हुई थी, उसे अभी आगे पढ़ाई करनी है। उसके पति पर यह इल्ज़ाम है कि उसने अपनी पहली पत्नी को जलाकर मार दिया है। परिणाम स्वरूप जया उससे बचने का मौका पाकर ट्रेन से उतरने के बाद भी दीपक का भ्रम तोड़ने की बजाय उसी के साथ उसके घर चली जाती है।
दीपक के घर जाकर जब वह अपना घुंघट उठाती है, तो पता चलता है, दीपक अंधेरे में गलती से फूल के स्थान पर जया को उतार लाया है। जया अपने पति से बचने के लिए दीपक और उसके घर वालों को अपना नाम पुष्पा बताती है, और अपना पता परिवार भी गलत बताती है।
उधर फूलकुमारी पतीला नामक स्टेशन पर उतरती है, जया का पति मदद करने का कहकर उसे परेशान करने की कोशिश करता है, लेकिन वह वहाँ से भाग जाती है। दूसरी सुबह स्टेशन पर फुल को एक बच्चा और पुरूष मिलता है, जो अपने को अपहिज दिखाकर भीख माँगता है, लेकिन अपहिज नहीं है। यह दोनों फूल को एक वृद्ध महिला के पास ले जाते हैं। वह महिला कड़वा बोलती है, लेकिन दिल की बहुत साफ है। वह फूल को अपने साथ रखती है, स्टेशन पर ही दुकान चलाती है। वृद्ध महिला का पति और बेटा उसी की कमाई खाते थे, और उसके बाद उस पर हाथ भी उठाते थे। परिणाम स्वरूप उसने उन्हें घर से निकाल दिया, अब वह अकेले रहती है।
दीपक फूल की तलाश करता है, उसकी तलाश के लिए थाने में रिपोर्ट लिखवाता है। पुष्पा (जया) का पति भी उसकी तलाश के लिए रिपोर्ट लिखवाता है।
पुष्पा (जया) दीपक और दीपक के घर वालों से अपना फोन छुपाती है। अपनी बहन को तीन बार मनीऑडर करके रूपए भेजती है, ताकि वह उसका दाखिला करवा सके और पुष्पा वहाँ जाकर पढ़ाई कर सके।
क्योंकि फुलकुमारी और जया के लापता होने की तारीख़ एक ही परिणाम स्वरूप इस्पेकटर को पुष्पा पर शक हो जाता है। वह उस पर नज़र रखने लगता है। पुष्पा दीपक के घर से भागकर जब देहरादून जाने लगती है, उसी दिन दीपक को फूल के लिए बहुत परेशान देखती है। वह उसकी मदद करने के लिए दीपक की भाभी से फूल का स्केच बनवाकर छपवा देती है।
उसी दौरान पुलिस को पता चल जाता है कि पुष्पा ही जया है। श्याम मनोहर (पुलिस) पुष्पा को चोर कहकर गिरफ्तार करवा लेता है। श्याम मनोहर रिश्वत लेकर FIR किए बिना ही केस खत्म कर देता है। दीपक जब अपनी पत्नी के लापता होने की रिपोर्ट लिखवाने जाता है, तो वह उससे भी रिश्वत लेता है। पन्द्रह हजार की माँग करता है, लेकिन दीपक के पास पाँच हजार होते हैं। गुंजन द्वारा MLA से बात करवाने की बात कहने पर पाँच हजार लेकर ही रिपोर्ट लिख ली जाती है।
पुष्पा को गिरफ्तार करने पर गुंजन को सबसे ज़्यादा तकलीफ होती है, गुंजन पुष्पा के प्रति आकर्षित होता है, लेकिन लेखक ने फिल्म में दोनों का सांकेतिक प्रेम दिखाया है। गुंजन दीपक से कहता है कि अगर वह चोर होती या उसने फुल का अपहरण किया होता तो वह उसे तलाश करने के लिए गुमशुदा का पोस्टर नहीं छपवाती। परिणाम स्वरप वह पुलिस स्टेशन जाते हैं, और पुष्पा से बात करने पर पुष्पा बताती है कि उसने सिर्फ अपनी पहचान छुपाई है, फूल का अपहरण नहीं किया है।
इसी दौरान फुल को पता चल जाता है कि उसका पति उसकी तलाश कर रहा है। गुमशुदा के पोस्टर पर पुष्पा (जया) ने अपना नम्बर लिखा था, परिणाम स्वरूप उसी के फोन पर लगभग 12 बार फोन आया, जिसे न उठाने पर फूलकुमारी दिए गए पते पर खुद ही चली जाती है।
यहाँ से दीपक को पता चलने पर वह भी पतीला स्टेशन के लिए निकलता है, लेकिन उसे अपने रेलवे स्टेशन पर ही फूल मिल जाती है।
पुष्पा को दीपक के साथ श्याम मनोहर जाने नहीं देता है, क्योंकि वह उसके पति को बता चुका होता है कि जया मिल गई है। जया का पति जब उसे लेने आता है तो श्याम मनोहर उससे भी रिश्वत लेता है। पुष्पा (जया) अपने पति के साथ नहीं जाना चाहती है, परिणाम स्वरूप वह उस पर हाथ उठाता है। उसके गहने जो उसकी माँ ने अपने खेत बेंचकर उसके लिए बनवाए थे, वह भी उससे लेकर कहता है। दहेज दूल्हे का होता है, इस पर जया का कोई अधिकार नहीं है।
श्याम मनोहर यहाँ पर अपनी मानवता दिखाते हुए जया को उसके पति से बचा लेता है। जया को जाने देने के लिए कहता है, यदि उसने ऐसा नहीं किया तो जया पर हाथ उठाने की सज़ा और अपनी पहली पत्नी को जलाने की फाइल खुलवाने की चेतवानी देता है। परिणाम स्वरूप वह जया को छोड़कर उसके गहने लेकर जाने लगता है, श्याम मनोहर उससे वह गहने लेकर जया को दे देता है। जब जया का पति श्याम मनोहर को दिए पैसे माँगता है, तो उसे रिश्वत देने की सज़ा की सांकेतिक चेतावनी देता है। इस सबसे डरकर उसका पति वहाँ से चला जाता है।
दीपक को उसकी पत्नी फूल मिल जाती है, जया (पुष्पा) अपनी पढ़ाई के लिए देहरादून चली जाती है। जब वह जाने लगती है, तो उसके गुंजन दीपक से कहलवाकर जया को संपर्क बनाए रखने के लिए कहता है। यहीं पर कहानी समाप्त हो जाती है।
लापता लेडीज फिल्म की समीक्षा (Review of Laapata Ladies)
लापता लेडीज फिल्म में देशकाल या भौतिक स्वरूप का यथार्थ का चित्रण है। प्राकृतिक स्वरूप, सामाजिक स्वरूप में यथार्थ व सरलता दिखाई देती है। ऐसा कहा जा सकता है कि सत्यता के निकट दिखाई देता है। जैसे – पुलिस स्टेशन में श्याम मनोहर के पीछे रखी अनेकों फाइलें, रेलवे स्टेशन का दृश्य, गाँव का परिवेश, रेल्वे स्टेशन पर एक व्यक्ति अपहिज न होते हुए भी अपहिज बनकर भीख माँगता है। श्याम मनोहर रिश्वत लेता है, लेकिन मानवता या नैतिक मूल्यो का पालन भी करता है।
फिल्म की कहानी के अनुसार समाज इतना आधुनिक होने के बाद भी लड़कियों को पढ़ने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। माता-पिता बेटियों का सुखद भविष्य आज भी उसके विवाहित जीवन को ही मानते हैं।
जया पर उसके पति ने हाथ उठाया इसमें घरेलू हिंसा की झलक मिलती है।
फूल लापता होने के बाद अपने पति का नाम नहीं लेती जिससे भारतीय परम्परा का चित्रण हैं। साथ ही उसे अपने ससुराल और मायके का स्पष्ट रूप से पता नहीं मालूम है, जिससे महिलाओं की सामाजिक अशिक्षा का पता चलता है।
जीवन की चुनौतियाँ इंसान को कठोर बना देती हैं, इस फिल्म की वृद्ध महिला जिसने फूल को अपने पास रखा था, उसके अन्दर देखने को मिलती है।
पुष्पा (जया) और गुंजन मे सांकेतिक प्रेम देखने को मिलता है।
जया के पति कहता है, दहेज दुल्हे का होता है। इससे समाज की कुप्रथा दहेज प्रथा का साक्षत्कार होता है।
ट्रेन में दीपक से पूछा जाता है, उसे कितना दहेज मिला है। उसके कुछ न बताने पर लोग उसमें कोई कमी की कल्पना कर लेते हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कोई व्यक्ति दहेज न लेना चाहे तब भी सामाजिक ढांचा ऐसा गढ़ा गया है, कि ससुराल पक्ष दहेज मिलने पर अपना सम्मान समझता है।
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