IGNOU Study Material : एक दिन का मेहमान कहानी का सारांश | Ek Din Ka Mehamaan Kahani Ka Saransh
एक दिन का मेहमान कहानी का परिचय (Ek Din Ka Mehamaan Story Introduction)
दुनिया का कोई व्यक्ति अकेले नहीं रहना चाहता है। जिस प्रकार इंसान को जीने के लिए रोटी की आवश्यकता है, उसी प्रकार किसी न किसी के प्रेम की भी आवश्यकता है। उम्र के हर पडाव पर प्रेम का स्वरूप भिन्न हो सकता है, जैसे बाल्यवस्था में माता-पिता का प्रेम आवश्यक है। युवावस्था में जीवन साथी का प्रेम आवश्यक है, वहीं वृद्धावस्था में अपनी संतान का प्रेम आवश्यक है।
जीवन की किसी भी आवस्था में यदि वयक्ति प्रेम या सहयोग से वंचित रहता है, तो उसे दुख उठाना पड़ता है। यह दुख समाज की मौलिक आवश्यकताओं के पूरा न होने के साथ-साथ भवनात्मक रूप से आवश्यकता पूर्ण न होने पर भी उठाना पड़ता है।
आज हम बात कर रहे हैं, “निर्मल वर्मा” की लिखी कहानी “एक दिन का मेहमान” की।
एक दिन का मेहमान कहानी सारांश (Ek Din Ka Mehamaan Story Summary)
इस कहानी में तीन किरदार हैं, आदमी औरत और लड़की। यह तीनों हिन्दुस्तानी हैं, लेकिन लड़की ने आज तक हिन्दुस्तान नहीं देखा है, न ही उसे हिन्दुस्तान के रिती-रिवाजो के बारे में पता है। आदमी हिन्दुस्तान में अपनी माँ के साथ रहता है। औरत और लड़की लंदन में रहते हैं, आदमी औरत पति-पत्नि हैं, जो अलग रहते हैं। क्यों अलग रहते हैं, लेखक ने इसका खुलासा स्पष्ट रूप से नहीं किया है। कहानी के अनुसार आदमी से अतीत में कुछ गलतियाँ हुई थीं, परिणाम स्वरूप आदमी और औरत अलग-अलग रहते हैं। आदमी दो-तीन साल में लड़की यानी अपनी बेटी से मिलने लंदन आता है। औरत को बिल्कुल पसंद नहीं है कि आदमी लड़की से मिलने उसके घर लंदन आए, इसलिए वह आदमी से कहती है उन्हें बाहर मिलना चाहिए।
कहानी की शुरूआत में आदमी औरत के घर लंदन आता है। वह घंटी बजाता है, लेकिन कोई दरवाज़ा खोलने नहीं आता। परिणाम स्वरूप आदमी दो मंजिला मकान के सामने एक घन्टे तक टहलता रहता है, फिर अचानक वह दरवाज़ा खोलता है तो खुल जाता है।
अन्दर आते ही उसकी मुलाकात उसकी बेटी से होती है, वह बताती है घंटी खराब है, इसलिए उसने दरवाज़ा खुला रखा था। आदमी लड़की से कुछ बाते करता है, वह औरत के बारे में पूछता है। पहले उसे लगा औरत घर में नहीं है, लड़की भी उसे साफ़-साफ़ नहीं बताना चाहती थी। बाद में अचानक उसने पूछा तो लड़की झूठ नहीं बोल पाई और बताया की वह ऊपर के कमरे में हैं।
आदमी ने आज कुछ नहीं खाया, परिणाम स्वरूप वह भूखा था। लड़की ने उसके लिए कुछ खाने का इंतज़ाम किया। जिस प्रकार किसी मेहमान का स्वागत होना चाहिए, वैसा इंतज़ाम नहीं किया। आदमी लड़की और औरत के लिए हिन्दुस्तान से कुछ समान लाया था, जो उसने लड़की को दिखाया। लड़की ने देखते ही वह सारा समान वापस पैक करने को कहा क्योंकि उसे पता था उसकी माँ को अच्छा नहीं लगेगा। एम्पोरियम का राजस्थानी लहँगा (लड़की के लिए), ताँबे और पीतल के ट्रिकेंटस, पशमीनें का कश्मीरी शॉल (पत्नी के लिए), टिकटो की अल्बम, बनारस : द एटर्नल सिटी (किताब) आदि चीज़े अर्थात अपने साथ आदमी एक छोटा सा हिन्दुस्तान लाया था। बेटी पिता से कहती है, यू आर अ कमिंग मैंन एंड अ गोइंग मैन। अर्थात कई सालो से आदमी इसी तरह अचानक आता है और अचानक चला जाता है।
एक फोन आया जिसे सुनने औरत ऊपर से नीचे आई। फोन सुनने के बाद वह वहीं नीचे बैठ गई। तीनों शान्त बैठे थे, लड़की को भी कुछ देर में उसकी सहेली का फोन आया। वह फोन पर बात करने लगी। इसी दौरान औरत ने आदमी से कहा वह यह समान क्यो लाया है? उसे इनकी ज़रूरत नहीं है। उसने यह भी कहा कि वह नहीं चाहती की लड़की कभी हिन्दुस्तान जाए। बात करते-करते औरत का गला भर आया, बिल्कुल वैसे जब हम रोना चाहते हैं लेकिन रो नहीं पाते। औरत अकेले नहीं रहना चाहती है, लेकिन अब उसे कोई जीवन साथी नहीं मिलेगा परिणाम स्वरूप उसे अकेले रहना पड़ रहा है। आदमी ने औरत को उसके नाम से पुकारा औरत ने गुस्से में नाम लेने के लिए भी मना कर दिया।
लड़की आदमी को घर के बाहर गार्डन में घुमाने ले गई। वहाँ वह अपने पिता से कहती है आप मम्मी से बहस क्यों करते हैं? साथ ही उसने यह पूछ लिया आप रात में कहाँ रूकेंगे? आदमी के मज़ाक में यह कहने पर की यहीं रूक जाऊँगा। लड़की को अच्छा नहीं लगा। कुछ देर में उसने कहा मैं आज शाम को ही चला जाऊँगा। जैसे ही आदमी ने लड़की से यह कहा लड़की का अपने पिता के प्रति बात करने का गुस्से भरा अंदाज़ करूणा में बदल गया।
लड़की अपने पिता के साथ वक्त गुज़ारना चाहती है, लेकिन उसकी माँ उसके पिता के साथ नहीं रह सकती न ही उसे अपने सामने बर्दाश्त कर सकती है। न चाहते हुए भी लड़की को अपने पिता से दूर रहना पड़ता है।
जब लड़की और आदमी बाहर से घूम के अन्दर आए तो देखा की सारा समान समेट कर एक कोने में रख दिया गया है। औरत में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह समान वापस पैक कर दे। शाम हो गई, और आदमी जाने लगा। औरत ने आदमी से जाते-जाते भी कोई सकारात्मक बात नहीं कही। आदमी ने कहा “मैं चलता हूँ” लेखक ने इस बात को रहस्य रखा कि यह बात आदमी ने लड़की से कही या औरत से।
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एक दिन का मेहमान कहानी समीक्षा (Ek Din Ka Mehamaan Story Review)
यह कहानी मनोवैज्ञानिक कहानी है, इस कहानी में आदमी औरत और लड़की तीनों ही अपने-अपने स्तर पर अकेलापन महसूस कर रहे हैं। यदि तीनो एक साथ रहने लगें, तो तीनों का अकेलापन दूर हो जाएगा। लेकिन आदमी से अतीत में कुछ गलतियाँ हुईं हैं, जिसे औरत माफ़ नहीं करना चाहती या कर नहीं सकती है। इस कहानी में बालवस्था में लड़की जो प्रेम या सहयोग माता-पिता दोनों से एकसाथ मिलना चाहिए था, उसे नहीं मिलता। जो सहयोग पति-पत्नि को जीवन साथी के रूप में एक दूसरे से मिलना चाहिए वह भी नहीं मिल पाता।
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