Net JRF Hindi : हिन्दी कविता यूनिट 5 | मैथलीशरण गुप्त की रचना भारत–भारती
रचना भारत–भारती (Rachna Bharat-Bharti)
भारत–भारती की रचना मैथिलीशरण गुप्त जी ने की है। इसका प्रकाशन वर्ष – 1912 है।
काव्य का विषय – भारत के स्वर्णिम अतीत की झाँकी, वर्तमान विषम परिस्थिति के स्वरूप का चित्र खिंचा है। यह तीन खण्डों में विभाजित है- अतीत खण्ड, वर्तमान खण्ड, और भविष्य खण्ड।
मैथिलीशरण गुप्त भारत की जनता को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, “अपने अतीत को याद करो कितना सुनहरा अतीत था। वर्तमान तुम्हारा कितना बुरा हो चुका है। वे इसका समाधान भी बताते हैं, भविष्य खण्ड में भारत को आज़ाद कराने व सोने की चिड़िया दोबारा बनाने पर विचार करते हैं। गांधीजी ने राष्ट्रकवि की उपाधि दिया, गुप्तजी को।
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भारत भारती के विषय में कथन (Statement about Bharat Bharati)
1) आचार्य शुक्ल जी कहते हैं
गुप्त जी की ओर पहले पहल हिन्दी प्रेमियों का सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली उनकी ‘भारत-भारती’ रचना निकली। इसमें ‘मुसद्दस हाली’ (शैली है/ कवि) के ढंग पर भारतीयों की या हिंदुओं की भूत और वर्तमान दशाओं की विषमता दिखाई गयी है; भविष्यनिरूपण का प्रयत्न नहीं है।
2) बच्चन सिंह कहते हैं
भारत भारती तो उस समय की राष्ट्रीय भावना की सिसिमोग्राफ (भूकम्प मापी यंत्र) है। इसे लिखने की प्रेरणा उन्हें मुसद्दसे-हाली और कैफी (बंगाल के बृज मोहन दत्तात्रेय कैफी) के भारत दर्पण से मिली।
गुप्त जी ने शैली हाली से ली और जमीन कैफी से। इसमें तत्कालीन राष्ट्रीय चेतना, वर्तमान की हीनभावना के संदर्भ में अतीत का गौरव और प्रकारान्तर से भविष्य का संकेत चित्र है। इसमें हिन्दू जातीयता की गंध खोजने वालों को जानना चाहिए कि भारतीय राष्ट्रीय चेतना का प्रारम्भिक स्रोत, हिन्दू – धर्म की पुनरुत्थानवादी भावना ही है।
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