Net JRF Hindi : अज्ञेय की कविताएँ | Agyeya’s poems

Net JRF Hindi : हिन्दी कविता यूनिट 5 | सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय की कविताएँ

1 यह दीप अकेला (Poem yah deep akela)

यह दीप अकेला का रचनाकाल 1953 है। “बावरा अहेरी में” (1954) में संकलित है। दीप व्यक्ति का प्रतीक है, पंक्ति समाज का प्रतीक है।
विषय – यह दीप अकेला में अज्ञेय जी ने दीपक को मनुष्य (व्यष्टि) के प्रतीक के रूप में लिया है। जबकि पंक्ति को (समाज, समष्टि) रूप में माना है। समाज में शामिल हो जाने पर एक जगमगाते दीपक (व्यक्ति) का सौंदर्य और महत्व बढ़ जाता है।

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता पर
इसको भी पंक्ति को दे दो

2 कलगी बाजरे की (kalagee baajare kee)


यह कविता “हरि घास में क्षण भर” (1949) में संकलित है।
विषय – इस कविता में कवि ने अपनी प्रेमिका की तुलना तारा, कुमुदनी या चम्पे की कली जसी पुराने प्रतीकों को छोड़कर चिकनी हरि घास और बाजरे की बाली से करते हैं।
ये उपमान मैले हो गए हैं।
देवता इन प्रतीकों के कर गए हैं कूच।
कभी बासन अधिक घिसने से मुलम्मा छूट जाता है।

3 कविता – हरि घास पर क्षण भर 1949

विषय – इस कविता में मानव को प्रकृति की तरह सहज होने और मनुष्य को प्रकृति के प्रति मानवीय होने का संदेश देते है

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4 कितनी नावों में कितनी बार (Kitanee Navon Mein kitanee baar)

कितनी नावों में कितनी बार कविता संकलित “कितनी नावों में कितनी बार” संग्रह में। यह कविता 1967 में प्रकाशित हुई थी। इस कविता को 1978 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

विषय – सच्चा ज्ञान आत्मप्रकाश से प्राप्त होता है जो भारतीय परंपरा की के मूल में है। विदेशी सच्चाई नग्न तथ्यों पर आधारित और भौतिकता में लिप्त रहती है।


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