Net JRF Hindi : सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की कविता कुकुरमुत्ता | Poem Kukurmutta by Suryakant Tripathi Nirala

Net JRF Hindi : हिन्दी कविता यूनिट 5 | सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की कविता कुकुरमुत्ता

रचना का नाम – कुकुरमुत्ता कविता

कुकुरमुत्ता कविता प्रकाशन वर्ष – 1942 है। कुकुरमुत्ता कविता का मूल स्वर प्रगतिवादी (शोषक और शोषित) है। इसमें गुलाब पूंजीपति वर्ग का और कुकुरमुत्ता सर्वहारा वर्ग का प्रतीक है। कुकुरमुत्ता मुलत: निराला की एक लम्बी कविता है। कविता दो खण्डों में है- प्रथम खण्ड में कुकुरमुत्ता गुलाब पर व्यंग्य करता है, द्वितीय खंड में नवाब की बेटी बहार को अपनी हमजोली गोली की मां की बनाई कुकुरमुत्ते का कबाब बहुत पसंद आता है।

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इस कविता में शोषित वर्ग में आत्मसम्मान है। वह हीनभावना से ग्रसित नहीं है। कुकुरमुत्ता स्वाभिमान की भावना। कुकुरमुत्ता और गुलाब का जिक्र है। गुलाब पूंजीपति का प्रतीक है, जो संसाधनों का दोहन करने वाला है। कुकुरमुत्ता आत्मनिर्भर है, स्वाभिमान है उसमें। कुकुरमुत्ता अपने आप बढ़ता है, उसे खाद पानी की जरूरत नहीं है। कुकुरमुत्ता श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहा है। यह दो खण्डों में विभाजित कविता है। भाषा इसमें संस्कारित नहीं है। मजदूर की भाषा में कुकुरमुत्ता कविता की रचना की गई है। पहले खण्ड में कुकुरमुत्ता गुलाब को नीचा दिखाता है। इसमें पूंजीपती पर व्यंग्य है। दूसरे खण्ड में नबाव ने फारस से गुलाब मंगाया था। बहार की दोस्त गोली है, गोली कहती है – मैं कुकुरमुत्ता की सब्जी खिलाऊँगी। जो बहार को बहुत पसंद आती है, जब वह यह अपने पिता से कहती है तो नबाव (पिता) अपने माली को कहते हैं – कुकुरमुत्ता की सब्जी बनाओ।


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