स्ववृत्त लेखन और रोज़गार संबंधी आवेदन पत्र | Resume Writing and Employment Application Letter

Class 11 – अभिव्यक्ति और माध्यम | Expression and Media

पाठ का परिचय (Introduction to the Lesson)

यह अध्याय स्ववृत्त अर्थात बायोडेटा पर आधारित है। बायोडेटा का क्या महत्व है? यह दो पात्र नरेंन्द्र और उसके चाचा के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है।  

किसी भी नौकरी को प्राप्त करने के लिए सर्व प्रथम अपनी महत्वपूर्ण भूमिका स्ववृत्ता (बायोडेटा) ही निभाता है। संभव है, यदि स्ववृत्ता अच्छा नहीं होगा तो योग्य होने के बाद भी नौकरी नहीं मिलेगी। इसलिए किसी भी व्यक्ति को नौकरी प्राप्त करने के लिए अपने बायोडेटा को नौकरी के उद्देश्य से बेहतर से बेहतर बनाएँ। स्ववृत्त में वही सुचनाएँ लिखी जानी चाहिए जिसमें नियोक्ता की दिलचस्पी हो।

स्ववृत्त लेखन की जानकारी (Self Writing Information)

स्ववृत्त में स्वयं से संबंधित पूर्ण जानकारी दी जाती है। स्ववृत्त की आवश्यकता तब पड़ती है जब हम नौकरी प्राप्त करना चाहते हैं। स्ववृत्त को बायोडाटा भी कहा जाता है। स्ववृत्त नौकरी की इच्छा या आवश्यकता के परिणाम स्वरूप बना लिया जाता है। स्ववृत्त के साथ ही एक आवेदन पत्र की भी आवश्यकता पड़ती है। आवेदन पत्र नौकरी का स्थान व कंपनी का पता लगने के बाद तैयार किया जाता है, लेकिन स्ववृत्त (बायोडेटा) अपनी शिक्षा व निजी जानकारी के आधार पर पहले ही बना लिया जाता है।

स्ववृत्त उम्मीदवार के दूत या प्रतिनिधि का कार्य करता है। उम्मीदवार नियुक्तिकर्ता के पास जाए बिना अपनी जानकारी स्ववृत्त के माध्यम से भेज देता है। स्ववृत्त के आधार पर ही नियुक्तिकर्ता नाम शॉर्ट लिस्ट करता है और चुने गए नामों को इंटर्व्यू के लिए बुलाता है। परिणाम स्वरूप यह कहा जा सकता है कि यदि स्ववृत्त सही ना बना हो तो उम्मीदवार योग्य होने के बाद भी नौकरी प्राप्त करने में असमर्थ रहता है। विशेष प्रकार के प्रयोजन को ध्यान में रखकर सिलसिलेवार ढंग से सूचनाएँ संकलित की जानी चाहिए।

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स्ववृत्त में दो पक्ष होते हैं (Autocircle has Two Sides)

1 वह व्यक्ति जिसको केंद्र में रखकर सूचनाएँ एकत्रित की जाती है।

2 दूसरा वह व्यक्ति जो नियोजन कर्ता है।

स्ववृत्त का स्वरूप कैसा होना चाहिए (What Should be the Nature of Self)

– स्ववृत्त में सदैव अपनी सही जानकारी देनी चाहिए, अर्थात स्ववृत्त ईमानदारी से बनाया जाना चाहिए। अतिश्योक्ति से बचना चाहिए।

– खुद के व्यक्तित्व, ज्ञान और अनुभव के सबल पहलुओं पर जोर देना चाहिए।

– स्ववृत्त में दी गई जानकारी न ही आवश्यकता से अधिक होनी चाहिए न ही आवश्यकता से कम होनी चाहिए।

– स्ववृत्त साफ-सुथरे ढंग से लिखा गया या कम्पयूटर मुद्रित होना चाहिए अर्थात सुंदर लेखन होना चाहिए।

– अनुशासित अर्थात निर्धारित क्रम में लिखा हुआ होना चाहिए। व्यक्तिगत परिचय, शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, प्रशिक्षण, उपलब्धियाँ, कार्योत्तर गतिविधियाँ इत्यादि ब्यौरा होना चाहिए।

By Sunaina

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