Net JRF Hindi : हिन्दी कविता यूनिट 5 | विश्वनाथ मिश्र द्वारा संपादित घनानंद के कवित्त
घनानंद (Ghananand)
घनानंद का जन्म 1689 में हुआ और उनकी मृत्यु 1739 में हुई थी। उनका जन्म स्थान बुलन्द शहर है, और मृत्यु मथुरा में हुई थी। उनकी प्रेयसी का नाम सुजान है। उनके आश्रयदाता मुहम्मदशाह रंगीला थे। इनकी सर्वाधिक लोकप्रिय रचना सुजान हित है, जिसमें 507 पद हैं। इन में घनानंद ने सुजान के प्रति अपने प्रेम, सुजान के रूप, विरह आदि का वर्णन किया है।
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घनानंद की अन्य रचनांए-
1 कोकसार 2 इश्कलता 3 वियोगबेलि 4 विरह लीला 5 कृपाकंद 6 रसकेलि वल्ली
7 यमुनायश आदि प्रमुख हैं।
घनानंद रीतिमुक्त कवि हैं, वे मीरमुंशी के पद पर थे। घनानंद खुद के प्रेम का वर्णन करते हैं, क्योंकि यह एकतरफा प्रेम था।
कुछ अन्य तथ्य-
1 – विश्वनाथ मिश्र द्वारा संपादित पुस्तक घनानन्द कवित्त के पद संख्या 1 से लेकर 30 तक के पद एनटीए नेट के सिलेबस में पढ़ना है।
2 – घनानन्द निम्बार्क सम्प्रदाय में दीक्षित थे। इनके गुरू वृंदावन देव थे।
3 – भारतेन्दु हरिश्चद्र ने इनकी रचनाओं का संग्रह ‘सुंदरी तिलक’ शीर्षक से कराया।
4 – ये मुहम्मद शाह रंगीला के शासनकाल में मीर मुंशी थे। जहाँ इनको सूजान से प्रेम हो गया। सुजान का अर्थ बुद्धिमान होता है।
5 – नादिरशाह की सेना द्वारा इनकी 1739 हत्या कर दी गई थी।
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