Net JRF Hindi Unit 7 : राही कहानी का सारांश व मूल संवेदना
कहानी का परिचय (Introduction to the Story)
इस कहानी में सुभद्रा जी ने गरीबों के पीड़ा का वर्णन करते हुए उनकी चोरी करने की मजबूरी पर पाठक वर्ग का ध्यान आकर्षित किया है।
इस कहानी में उन्होंने सत्याग्रहियों में शामिल सत्ता के लोलुप व्यक्तिंयों पर व्यंग्य किया है। उन्होंने इस कहानी में गरीबों के कष्ट निवारण को ही सच्ची देश भक्ति माना है।
कहानी के पात्र – इस कहानी में दो पात्र है (राही और अनीता) राही एक गरीब औरत जिसे चोरी के जुर्म में कैद किया जाता है।
अनीता एक अमीर घर कि महिला जो स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी गतिविधियों के कारम जेल गई है।
जेल की कथा का वर्णन है, जहाँ दो महिला मिलती हैं। एक का नाम राही है, एक का नाम अनीता है। अनीता को में राही द्वारा चोरी करने का कारण सुनकर बहुत दुख होता है।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय (Introduction of Subhadra Kumari Chauhan)
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म – सन् 1904 संवत 1961 में हुआ। उनका जन्म स्थान प्रयागराज के निहालपुर मुहल्ले में है। उनकी शिक्षा क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज, प्रयागराज में हुई। उनके पति का नाम वकील ठा. लक्ष्मण सिंह था। उनका निधन 1948 में हुआ।
यादगार तथ्य
15 वर्ष की आयु में सुभद्रा कुमार चौहान ने प्रथम काव्यकृति लिखी थी।
राष्ट्रीय आंदोलनों में बराबर सक्रिया रहीं, कई बार जेल भी गईं थीं।
मध्य प्रांत असेम्बली की काँग्रेस सदस्या भी रहीं है। 1921 में असहयोग आंदोलन के प्रभाव से शिक्षा अधूरी छोड़ी गई।
कृति परिचय
मुख्यत: कवयित्री के रूप में प्रख्यात हैं। कवातओं में मुख्यत: राष्ट्रीय भावना तथा घरेलू जीवन की छवियाँ अंकित हैं।
कविता संग्रह-
1 त्रिधारा
2 मुकुल 1930
3 नक्षत्र
जालियाँवाला बाग, झाँसी की रानी, झंडे की इज्जत में तथा स्वदेश के प्रति सुभद्रा कुमारी चौहान की महत्वपूर्ण कविताएँ।
कहानी संग्रह-
बिखरे मोती जो 1932 में प्रकाशित हुआ है।
उन्मादिनी जो 1934 में प्रकाशित हुआ है।
सीधे-साधे चित्र जो 1947 में प्रकाशित हुआ है।
सुभद्रा कुमारी चौहान जी का सीधे-साधे चित्र तीसरा व अंतिम कहानी संग्रह है। यह कहानी संग्रह 1947 में छपा, इसी कहानी संग्रह में राही कहानी संकलित है। कहानियों में सामाजिक पारिवारिक जीवन के व्यावहारिक चित्रण की प्रधानता है। सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहानियों के लिए हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा दो बार सेकसरिया पुरस्कार से सम्मानति हुईं।
बाल साहित्य
1 झाँसी की रानी
2 कदम्ब का पेड़
3 सभा का खेल
पुत्री सुधा चौहान ने मिला तेज से तेज नामक पुस्तक में माता सुभद्रा जी एवं पिता लक्ष्मण सिंह जी की जीवनी लिखी। इस कृति को हंस प्रकाशन, प्रयागराज से प्रकाशित किया गया।
विद्वानों ने कहा (Scholars Said)
गोपालराय लिखते हैं – राही स्वाधीनता आंदोलन पर आधारित एक विचारप्रधान कहानी है। इसमें उन देशभक्तों का पर्दाफाश किया गया है, जो वस्तुत: सत्ताभक्त हैं और उसी के लिए राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेते और जेलों में आकर ऊँचे क्लासों के लिए झगड़ते हैं। संवेदना का कोई क्षण इसमें नहीं है पर आंदोलन का एक अवांछित यथार्थ जरूर सामने आता है।
राही कहानी के महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts of Rahi Story)
राष्ट्रीय चेतना की कथाकार सुभद्राकुमारी चौहान की अभावग्रस्त देशवासियों के प्रति एक संवेदनशील एवं मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति।
राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान प्राप्त कारागार के अनुभवों की पृष्ठभूमि पर रचित कहानी।
लेखिका के 1947 में प्रकाशित सीधे-सीधे चित्र नामक कहानी-संग्रह में संकलित है।
दो प्रमुख पात्र हैं – राही जो एक गरीब कैदी स्त्री है और अनीता जो एक अमीर घराने की स्वतंत्रता सेनानी महिला है।
राही कहानी की कथावस्तु (Plot of Rahi Story)
निर्धन वर्ग का अभावग्रस्तता के कारण अपराधी-मनोवृत्ति की ओर बढ़ना।
भूख से व्याकु बच्चों की पीड़ा से विवश होकर एक माँ का चोरी करना।
सत्याग्रहियों में शामिल सत्तालोलुप व्यक्तियों पर व्यंग्य। राही मांगलोरी जाति की महिला है।
लेखिका की दृष्टि में गरीबों का कष्ट निवारण ही सच्ची देशभक्ति एवं मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। संपूर्ण कहानी अनीता एवं राही के पारस्परिक संवादों के माध्यम से आगे बढ़ती है। दोनों महिलाएँ कारावास में हैं- एक स्वतंत्रता आंदोलन के कारण और दूसरी चोरी के अपराध के कारण।
वार्तालाप के दौरान स्पष्ट होता है कि राही को निम्न माँगरोरी जाति की होने के कारण मजदूरी नहीं मिली। माँगने पर भी भोजन न मिलने पर चोरी की और पुलिस द्वारा पकड़ी गई। राही के पति का जेल में पीटे जाने के कारण निधन हो गया है। अब बच्चे बेसहारा हैं।
महत्वपूर्ण संवाद (Important Dialogue)
कहानी की शुरूआत-
“तेरा नाम क्या है?”
“राही”
“तुम्हें किस अपराध में सजा हुई?”
“चोरी की थी सरकार”।
“चोरी? क्या चुराया था?”
“नाज (अनाज) की गठरी”।
“कितना अनाज था?”
“होगा पाँच-छह सेर”
“और सजा कितने दिन की है?”
“साल भर की”।
“तो तूने चोरी क्यों की”?
“मजदूरी करती तब भी दिन-भर में तीन-चार आने पैसे मिल जाते”।
“हमें मजदूरी नहीं मिलती सरकार। हमारी जाति माँगरोरी है”।
“हम केवल माँगते-खाते हैं”।
“और भीख न मिले तो?”
“तो फिर चोरी करते हैं”।
“हम गरीबों की कोई नहीं सुनता सरकार। बच्चे आए थे कचहरी में, मैंने सब कुछ कहा, पर किसी ने नहीं सुना”।
राही – “उनका बाप मर गया सरकार। जेल में उसे मारा था और वहीं अस्पताल में वह मर गया। अब बच्चों का कोई नहीं है”।
राही – “उसे तो बिना कसूर के ही पकड़ लिया था सरकार। ताड़ी पीने को गया था। दो-चार दोस्त उसके साथ थे। मेरे घर वालों का एक वक्त पुलिस वाले के साथ झगड़ा हो गया था। उसी का उसने बदला लिया। 109 में उसका चालान करके साल भर की सजा दिला दी। वहीं मर गया”।
कहानी का अंतिम स्वरूप
“सुबह सात बजे तक उसकी नींद नहीं खुली। अचानक एक स्त्री जेलर ने उसे आकर जगा दिया और बोली – आपके पिता बीमार हैं। आप बिना शर्त छोड़ी जा रही हैं। अनीता अपने स्वप्न को सच्चाई में परिवर्तित करने की एक मधुर कल्पना ले कर चली गई”।
- Study Material : बकरी नाटक का सारांश व महत्वपूर्ण तथ्य | Summary And Important Facts Of Bakri Natak
- UGC Net JRF Hindi : सिक्का बदल गया कहानी की घटना संवाद व सारांश । Sikka Badal Gya Story Incident Dialogue and Summary
- UGC Net JRF Hindi : मारे गए गुलफाम उर्फ तीसरी कसम कहानी की घटना संवाद और सारांश | Incident Dialogue And Summary Of The Story Mare Gye Gulfam ou Tisree kasam
- UGC Net JRF Hindi : परिंदे कहानी की घटना संवाद और सारांश | Story Parinde Incident Dialogue And Summary
- UGC Net JRF Hindi : अपना अपना भाग्य कहानी की घटना संवाद और सारांश | Story Of Apna Apna Bhagya Incident Dialogue And Summary