Class 11 – अभिव्यक्ति और माध्यम | Expression and Media
कोश का अर्थ (Meaning of Dictionary)
सामान रखने का पात्र कोश कहलाता है। जिस प्रकार संसार में अनगिनत सामान हैं उसी प्रकार सामान रखने के पात्र अर्थात कोश भी मौजूद हैं। शब्दो को संग्रहित करके किसी ग्रंथ (किताब) में रखा जाता है। परिणाम स्वरूप शब्दो से पूर्ण उस किताब को शब्दकोश कहते हैं।
शब्दकोश का परिचय (Introduction to Dictionary)
शब्दकोश में दिए गए शब्द के साथ उस शब्द का अर्थ भी लिखा जाता है। शब्दकोश अधिकतर दो भाषओं में लिखा जाता है। जैसे – अंग्रेजी हिन्दी का अनुवाद शब्दकोश। शब्दकोश एक ही भाषा का भी हो सकता है। जैसे – अंग्रेजी शब्दो का अर्थ सरल अंग्रेजी में लिखा गया शब्दकोश हो सकता है। परिणाम स्वरूप शब्दकोश एक बहुत बड़ी सूची है, एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें शब्द वर्तनी, व्युत्पत्ति, व्याकरण निर्देश, अर्थ, परिभाषा आदि शामिल है।
शब्दकोश एकभाषीय, द्विभाषीय, या बहुभाषिक भी हो सकते हैं। शब्दकोश में अनुवादित शब्दों के साथ शब्दों की लिपि में भी परिवर्तन होता है। प्रत्येक कार्य क्षेत्र के लिए अलग-अलग शब्दकोश हो सकते हैं। जैसे – विज्ञान शब्दकोश, चिकित्सा शब्दकोश, विधिक (कानूनी) शब्दकोश, गणित का शब्दकोश आदि।
शब्दकोश की आवश्यकता (Dictionary Needed)
अपने भावों को प्रकट करने के लिए स्पष्ट (सही) अभिव्यक्ति आवश्यक है। उत्तम अभिव्यक्ति के लिए सही शब्दों का चयन भी जरूरी है। जिसे शिल्प सौंदर्य की दृष्टि से देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए-
सही वाक्य – महाशिवरात्रि के दिन जल चढ़ाने जाना है।
गलत वाक्य – महाशिवरात्रि के दिन पानी चढ़ाने जाना है।
पानी और जल दोनों का अर्थ एक ही है लेकिन संदर्भ के कारण उनका सौंदर्य बिगड़ गया है। परिणाम स्वरूप सही शब्दों के चयन के लिए शब्दों का संकलन आवश्यक है। शब्दो के संकलित ग्रंथ हो ही शब्दकोश कहते हैं।
विश्वज्ञान कोश या ज्ञानकोश (Encyclopedia)
विश्वज्ञान कोश का अर्थ है विश्व के समस्त ज्ञान का भंडार इस कोश में शामिल है। विश्वज्ञान कोश या ज्ञानकोश एक ऐसी पुस्तक है जिसमें संसार की भिन्न-भिन्न प्रकार की जानने लायक आवयश्यक बातों का समावेश है। यह कोश संसार के प्रत्येक सिद्धांतों की पाठ्यसामग्री है। विश्व के ज्ञान की बातें इतनी ज्यादा हैं जो हर दिन बढ़ती रहेगी परिणाम स्वरूप किसी भी विश्वकोश को ‘पूरा हुआ’ या ‘पूर्ण’ घोषित नहीं किया जा सकता है।
विश्वकोश में अनेक विषय के लेख भी शामिल हो सकते हैं और एक ही विषय से पूर्ण विश्वकोश भी हो सकते हैं। पहले विश्वकोश एक या अनेक खण्डों में पूस्तक के स्वरूप में ही आते थे। वर्तमान में सीडी आदि के रूप में भी भिन्न-भिन्न प्रकार के विश्वकोश उपलब्ध हैं। अनेक विश्वकोश इंटरनेट पर ऑनलाइन भी मौजूद हैं।
विश्वकोशों का विकास शब्दकोशों से हुआ है। शब्दों के अर्थ जान लेने से ज्ञान की भूख समाप्त नहीं होती परिणाम स्वरूप विश्वकोश अस्तित्व में आया। वर्तमान में किसी एक विषय को समर्पित विश्वकोश को शब्दकोश भी कहा जा सकता है।
शब्दकोश का स्वरूप (Dictionary Format)
शब्दकोश, शब्दोंका खज़ाना है। इसमें एक भाषा-भाषी समुदाय में प्रयुक्त होने वाले शब्दों को संचित किया जाता है।
– शब्दकोश में शब्दों की व्युत्पत्ति, स्रोत, लिंग, शब्द-रूप एवं विभिन्न् संदर्भपरक अर्थों के बारे में जानकारी दी जाती है।
– हिंदी शब्दकोश में हिन्दी वर्णमाला का अनुसरण किया जाता है परंतु अं से प्रारंभ होने वाले शब्द सबसे पहले दिए जाते हैं।
– यद्यपि हिंदी वर्णमाला में कुछ संयुक्त व्यंजन सबसे अंत में आते हैं परंतु शब्दकोश में उन्हें उस क्रम में रखा जाता है जिन व्यंजनों से मिलकर वे बने हैं, जैसे – क्+ष = क्ष आदि।
– स्वर रहित व्यंजन से प्रारंभ होने वाले शब्द उस व्यंजन में इस्तेमाल होने वाले सभी स्वरों के बाद में रखे जाते हैं, जैसे ‘क्या’ शब्द ‘कौस्तुभ’ के बाद ही आएगा।
संदर्भ-ग्रंथ (Bibliography)
जिस प्रकार शब्दकोश में शब्दों के अर्थ दिए होते हैं उसी प्रकार संदर्भ-ग्रंथों में मानव द्वारा संचित ज्ञान को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
– संदर्भ-ग्रंथ कई प्रकार के होते हैं। संदर्भ-ग्रंथ का सबसे विशद रूप ‘विश्व ज्ञान कोश’ है। इसमें मानव द्वारा संचित हर प्रकार की जानकारी और सूचना का संक्षिप्त संकलन होता है।
– संदर्भ-ग्रेंथो के अन्य महत्वपूर्ण प्रकार हैं ‘साहित्य कोश’ और ‘चरित्र कोश’ ‘साहित्य कोश’ में साहित्यिक विषयों से संबंधित जानकारियाँ संकलित होती हैं। चरित्र क्षेत्रों के महान व्यक्तियों के व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में जानकारी संकलित होती है।
– संदर्भ-ग्रंथ गागर में सागर के समान हैं। जब भी किसी विषय पर तुरंत जानकारी की आवश्यकता होती है, संदर्भ-ग्रंथ हमारे काम आते हैं।
– संदर्भ-ग्रंथों में जानकारियों का सिलसिलेवार संकलन शब्दकोश के नियमों के अनुसार ही होता है।
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