पत्रकारिता के विविध आयाम (भाग – 1) | Various Dimensions of Journalism (Part – 1)

अध्याय – 2 पत्रकारिता के विविध आयाम (कक्षा – 11) | Adhyaay – 2 Patrakaarita ke vividh aayaam (Class – 11)

पत्रकारिता (Journalism)

अपने आसपास की चीज़ों, घटनाओं और लोगों के बारे में ताज़ा जानकारी रखना मनुष्य का सहज स्वाभाव है। उसमें जिज्ञासा का भाव बहुत प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ में पत्रकारिता का मूल तत्व है। जिज्ञासा नहीं रहेगी तो समाचार की भी ज़रूरत नहीं रहेगी। पत्रकारिता का विकास इसी सहज जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश के रूप में हुआ। वह आज भी इसी मूल सिद्धांत के आधार पर काम करती है।

पत्रकारिता क्या है? (What is Journalism?)

सूचनाएँ अगला कदम तय करने में हमारी सहायता करती हैं। हम अपने पास-पड़ोस, शहर, राज्य और देश-दुनिया के बारे में जानना चाहते हैं। सूचनाएँ हमारे दैनिक जीवन के साथ-साथ पूरे समाज को प्रभावित करती हैं। हमारे प्रत्यक्ष अनुभव से बाहर की दुनिया के बारे में हमें अधिकांश जानकारी समाचार माध्यमों द्वारा दिए जाने वाले समाचारों से ही मिलती है।

समाचार संगठनों में काम करने वाले पत्रकार देश-दुनिया में घटने वाली घटनाओं को समाचार के रूप में परिवर्तित करके हम तक पहुँचाते हैं। इसके लिए वे रोज़ सूचनाओं का संकलन करते हैं और उन्हें समाचार के पारूप में ढालकर प्रस्तुत करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को ही पत्रकारिता कहते हैं।

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समाचार की कुछ परिभाषाएँ (Some Definitions of News)

प्रेरक और उत्तेजित कर देने वाली हर सूचना समाचार है।

समय पर दी जाने वाली हर सूचना समाचार का रूप धारण कर लेती है।

किसी घटना की रिपोर्ट ही समाचार है।

समाचार जल्दी में लिखा गया इतिहास है?

समाचार क्या है? (What is News?)

मित्रों, रिश्तेदारों और सहकर्मियों से आपसी कुशलक्षेम और हालचाल का आदान-प्रदान समाचार माध्यमों के लिए समाचार नहीं है क्योंकि आपसी कुशलक्षेम हमारा व्यक्तिगत मामला है।

दरअसल, समाचार माध्यम कुछ लोगों के लिए नहीं बल्कि अपने हज़ारों-लाखों पाठकों, श्रोकाओं और दर्शकों के लिए काम करते हैं। वे समाचार के रूप में उन्हीं घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं को चुनते हैं जिन्हें जानने में अधिक से अधिक लोगों की रूचि होती है। वह समाचार जिनका किसी न किसी रूप में सार्वजनिक महत्व होता है। यह समाचार उन समस्याओं और विचारों पर आधारित होते हैं जिनका अधिका से अधिक लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। परिणाम स्वरूप समाचार किसी भी ऐसी ताज़ा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो और जिसका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ रहा हो।

समाचार के तत्व (Elements of News)

सामान्य तौर पर किसी भी घटना, विचार, और समस्या से जब समाज के बड़े तबके का सरोकार हो तो हम यह कह सकते हैं कि यह समाचार बनने के योग्य है। किसी घटना विचार और समस्या के समाचार बनने की संभावना तब बढ़ जाती है, जब उनमें निम्नलिखित तत्व शामिल हों, जो इस प्रकार हैं-

नवीनता (Novelty)

किसी भी घटना, विचार या समस्या के समाचार बनने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि वह नया यानी ताज़ा हो। कहा भी जाता है ‘न्यू’ है इसलिए ‘न्यूज’ है। दैनिक समाचारपत्र के लिए आमतौर पर पिछले 24 घंटों की घटनाएँ समाचार होती हैं। एक चौबीस घंटे के टेलीविज़न और रेडियो चैनल के लिए तो समाचार जिस तेज़ी से आते हैं, उसी तेज़ी से बासी भी होते चले जाते हैं।

दैनिक समाचारपत्र की अपनी एक डेडलाइन (समय-सीमा) होती है जब तक कि समाचारों को कवर कर पाता है।

कुछ ऐसी घटनाएँ भी होती हैं जो रातोंरात घटित नहीं होती बल्कि जिन्हें घटने में वर्षों लग जाते हैं। यदि दूसरे विश्वयुद्ध या अन्य ऐतिहासिक घटना के बारे में आज भी कोई नई जानकारी मिलती है जिसके बारे में हमारे पाठकों को पहले जानकारी नहीं थी तो निश्चय ही यह उनके लिए समाचार है। उदाहरण के लिए किसी गाँव में पिछले 20 वर्षों में लोगों की जीवनशैली में क्या-क्या परिवर्तन आए और इन परिवर्तनों के क्या कारण थे – यह जानकारी निश्चय ही एक समाचार है। नवीनता के तत्व न होने पर भी उसके समाचार बनने की संभावना बढ़ जाती है।

निकटता (Closeness)

किसी भी समाचार संगठन में किसी समाचार के महत्व का मूल्यांकन अर्थात उसे समाचारपत्र या बुलेटिन में शामिल किया जाएगा या नहीं, इसका निर्धारण इस आधार पर भी किया जाता है कि वह घटना उसके कवरेज क्षेत्र और पाठक,  दर्शक, श्रोता समूह के कितने करीब हुई है?  निकटता भौगोलिक नज़दीकी के साथ-साथ सामाजिक-सांस्कृतिक नज़दीकी से भी जुड़ी हुई है। हम अपने देशवासियों से सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से जुड़े हुए हैं, चाहे वे हमसे सैकड़ों मील दूर बैठे हों।

सांस्कृतिक निकटता के कारण हम विदेशों में बसे भारतीयों से जुड़ी घटनाओं को भी जानना चाहते हैं। उस घटना के खबर बनने की संभावना ज़्यादा है जो उसके पाठकों के ज़्यादा करीब हुई है।

जनरूचि (Public Interest)

किसी विचार, घटना और समस्या के समाचार बनने के लिए यह भी आवश्यक है कि लोगों की उसमें दलचस्पी हो। वे उसके बारे में जानना चाहते हों। घटना समाचार तभी बन सकती हैं, जब पाठकों या दर्शकों का एक बड़ा तबका उसके बारे में जानने में रूचि रखता हो। हर समाचार संगठन का अपना एक लक्ष्य समूह (टार्गेट ऑडिएंस) होता है। समाचार संगठन अपने पाठको या श्रोताओं की रुचियों को ध्यान में रखकर समाचारों का चयन करता है। लोगों की रूचियों में परिवर्तन भी आ रहे हैं, रूचियाँ कोई स्थिर चीज़ नहीं हैं, गतिशील हैं। रूचियाँ परिवर्तन के परिणाम स्वरूप मीडिया में भी परिवर्तन आता है।

टकराव या संघर्ष (clash or conflict)

किसी घटना में टकराव या संघर्ष का पहलू होने पर उसके समाचार के रूप में चयन की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि लोगों में टकराव या संघर्ष के बारे में जानने की स्वाभाविक दिलचस्पी होती है। टकराव या संघर्ष का जीवन पर सीधा असर पड़ता है। लोग उससे बचना चाहते हैं और इसलिए उसके बारे में जानना चाहते हैं। यही कारण है कि युद्ध और सैनिक टकराव के बारे में जानने की लोगों में सर्वाधिक रूचि होती है।

महत्वपूर्ण लोग (Important People)

मशहूर और जाने-माने लोगों के बारे में जानने की आम पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं में स्वाभाविक इच्छा होती है। कई बार किसी घटना से जुड़े लोगों के महत्वपूर्ण होने के कारण भी उसका समाचारीय महत्व बढ़ जाता है। जैसे अगर प्रधानमंत्री को ज़ुकाम भी हो जाए तो यह एक खबर होती है। किसी फ़िल्मी सितार या क्रिकेट खिलाड़ी का विवाह भी खबर बन जाती है। जबकि यह निजी आयोजन होता है। कई बार समाचरा माध्यम महत्वपूर्ण लोगों की खबर देने के लोभ में उनके निजी जीवन की सीमाएँ लाँघ जाते हैं। महत्वपूर्ण लोगों के बारे में जानकारी देने के नाम पर कई बार समाचार माध्यम अफ़वाहें और कोरी गप प्रकाशित-प्रसारित करते दिखाई पड़ते हैं।  

उपयोगी जानकारियाँ (Useful information)

अनेक ऐसी सूचनाएँ भी समाचार मानी जाती हैं जिनका समाज के किसी विशेष तबके के लिए खास महत्व हो सकता है। ये लोगों की तात्कालिक उपयोग की सूचनाएँ भी हो सकती हैं। मसलन स्कूल कब खुलेंगे किसी खास कॉलोनी में बिजली कब बंद रहेगी, पानी का दबाव कैसा रहेगा, वहाँ का मौसम कैसा रहेगा, आदि।

अनोखापन (Uniqueness)

जो कुछ स्वाभाविक नहीं है या किसी रूप में असाधारण है, वही समाचार है। निश्चय ही, अनहोनी घटनाएँ समाचार होती हैं। लोग इनके बारे में जानना चाहते हैं। समाचार मीडिया को इस तरह की घटनाओं के संदर्भ में काफ़ी सजगता बरतनी चाहिए अन्यथा कई मौकों पर यह देखा गया है कि इस तरह के समाचारों ने लोगों में अवैज्ञानिक सोच और अंधविश्वास को जन्म दिया है। भूत-प्रेत के किस्से-कहानी समाचार नहीं हो सकते। किसी इंसान को भगवान बनाने के मिथ गढ़ने से भी समाचार मीडिया को बचना चाहिए।

पाठक वर्ग (Readership)

आमतौर पर हर समाचार संगठन से प्रकाशित-प्रसारित होने वाले समाचारपत्र और रेडिये/टी.वी. चैनलों का एक खास पाठक, दर्शक, श्रोता वर्ग होता है। समाचार संगठन समाचारों का चुनाव करते हुए अपने पाठक वर्ग की रुचियों और ज़रूरतों का विशेष ध्यान रखते हैं। समाचारीय घटना का महत्व इससे भी तय होता है कि किसी खास समाचार का ऑडिएंस कौन है और उसका आकार कितना बड़ा है।

नीतिगत ढाँचा (Policy Framework)

विभिन्न समाचार संगठनों की समाचारों के चयन और प्रस्तुति को लेकर एक नीति  होती है। इस नीति को संपादकीय नीति भी कहते हैं। संपादकीय नीति का निर्धारण संपादक या समाचार संगठन के मालिक करते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि वे केवल संपादकीय नीति के अनुकूल खबरों का ही चयन करते हैं बल्कि वे उन खबरों को भी चुनते हैं जो संपादकीय नीति के अनुकूल नहीं है। संभव है संपादकीय लाइन के प्रतिकूल खबरों को उतनी प्रमुखता न दी जाए जितनी अनुकूल खबरों को दी जाती है।

पत्रकारिता के विविध आयाम (भाग-2)

By Sunaina

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