IGNOU MHD-12: तमिल कहानी ट्रेडिल का सारांश व समीक्षा | Summary & Review of Tamil Story Tredil

IGNOU MHD-12 भारतीय कहानी | Bhartiya Kahaani (Ak Avismaraneey yaatra)

IGNOU MHD-12 ट्रेडिल कहानी का परिचय (Introduction of the Story Tredil)

ट्रेडिल कहानी तमिल भाषा में जयकांतन जी के द्वारा लिखी गई थी। वर्तमान में टेडिल कहानी का अनुवाद करके Mhd 12 के पाठ्यक्रम में लगाई गई है। कहानी के मुख्य पात्र का नाम विनायकमूर्ति है। विनायकमूर्ति अभावों में जीवन व्यतीत करने वाल एक पात्र है। कहानी के अंत में विनायकमूर्ति ट्रेडिल मशीन की तरह काम करने लगता है अर्थात वह मशीन की तरह भावना हीन खुद को महसूस करता है। ट्रेडिल कहानी का संबन्ध छापेखाने से है। ट्रेडिल वह मशीन है जिसे पाँव की सहायता से चलाया जाता है। इस मशीन के द्वारा छपाई का काम होता है। प्रेस के मालिक का नाम मुदलियार है और विनायकमूर्ति इस प्रेस के कर्मचारी का नाम है। इस प्रेस में सबसे अधिक कार्य विनायकमूर्ति अकेले ही करता है। कहानीकार ने इस कहानी के माध्यम से छापेखाने में काम कर रहे मजदूर की स्थिति का मार्मिक चित्रण किया है।

IGNOU MHD-12 ट्रेडिल कहानी के लेखक डी. जयकांतन का परिचय (Introduction of the Author D. Jaykant)

डी. जयकांतन तमिल के प्रमुख कथाकार हैं। डी. जयकांतन जी का जन्म 2 मई 1934 को तमिलनाडु के कडलूर में हुआ था। चार वर्षों की औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद जयकांतन का स्कूल छूट गया परिणाम स्वरूप उन्होंने स्वाध्याय किया। कहानी, उपन्यास, निबंध, आदि रचनाओं का सृजन किया। तमिलभाषियों द्वारा जयकांतन जी को कहानी सम्राट (शिरूकदै मन्नद) की उपाधि प्राप्त हुई है।

जयकांतन जी ने 150 से भी अधिक कहानियाँ लिखी हैं। जयकांतन जी के उपन्यास “शिल नेरंगल्लि” को साहित्य अकादमी ने सन् 1972 में पुरस्कृत किया है।

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ट्रेडिल कहानी का सारांश (Summary of the Story Tredil)

ट्रेडिल कहानी कि शुरूआत छापेखाने में ट्रेडिल मशीन के चलने से होती है। कहानी के अनुसार छापेखाने को खुले हुए बीस साल कुछ महीने हुए हैं। इसी छापेखाने की कमाई से छापेखाने के मालिक मुरूगेश मुदलियार ने एक मकान बनवा लिया है। कम्पोजिटर, बाइण्डर मशीनमैन इन सभी की भूमिका निभाने वाला एक ही व्यक्ति है जिसका नाम विनायकमूर्ति है। इस छापेखाने में असली मेहनत विनायकमूर्ति ही करता है। उसी की मेहनत के परिणाम स्वरूप छापेखाने से अच्छी कमाई होती है। छापेखाने की सारी कमाई विनायकमूर्ति की मेहनत का नतीजा है लेकिन विनायकमूर्ति को महीने में 20 रूपये ही मिलते हैं। 12 साल से विनायकमूर्ति यहाँ काम कर रहा है। वर्तमान में विनायकमूर्ति की आयु 30 वर्ष है। विनायकमूर्ति ने अनेक विवाह के निमंत्रण पत्र छापे हैं, लेकिन खुद उसके विवाह का निमंत्रण पत्र नहीं छपा है। ट्रेडिल मशीन अचानक बंद हो जाती है तो मालिक चिल्लाने लगता है।

एक दिन गलती से विवाह पत्र पर दूल्हे की जगह के. विनायकमूर्ति छप गया था। शादी का यह कार्ड देखकर विनायकमूर्ति अपनी हँसी रोक नहीं पाया और लगातार खूब हँसता रहा। विनायक खुद भी विवाह करना चाहता है। अब वह सोचने लगा अपने विवाह के बारे में अचानक उसे याद आया की अगर मैं चूलै में रहने वाली दीदी को कहूँ तो वह कोई लड़की मेरी शादी के लिए जरूर देख लेंगी।

विनायक दोबारा हँसने लगा उसकी हँसी सुनकर मालिक ने पूछा क्यों हँस रहा है? विनायक ने पत्र मुदलियार के सामने रख दिया परिणाम स्वरूप मुदलियार भी ज़ोर से हँसने लगे। पत्र में लिखा था “सांसारिक जीवन को दुखमय बनाने के लिए एक जीवन-साथी का होना बहुत आवश्यक है” सु की जगह दु छप गया था। मुदलियार अपनी हँसी रोक कर विनायक को डांटने लगा चुपचाप काम करने को कहा।

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शाम को घर जाते हुए जब मुदलियार ने चाबी और अठंन्नी दी तभी विनायकमूर्ति ने मुदलियार से कहा “दीदी ने मेरे लिए एक लड़की देख रखी है” इतना कहकर विनायक चुप हो गया। यह सुनकर मुदलियार ने कहा “अच्छी बात है बेटे, गाजे-बाजे के साथ करा देंगे”। विनायक ने कहा उसके लिए 100 रूपये चाहिए होंगे तो मुदलियार ने कहा वह भी हो जाएगा तू पहले बात पक्की कर ले।

मुदलियार के जाने के बाद विनायक ट्रेडिल चलाने में लगा तभी अचानक उसके जॉघ के ऊपर दर्द होने लगा दर्द इतना ज्यादा था कि विनायक की चीख निकल गई। इसी दर्द में जैसे-तैसे छपाई का काम पूरा किया। छपाई के बाद जैसे-तैसे डॉक्टर के पास विनायक पहुँचा वहाँ जाकर पता चला कि विनायकमूर्ति को हर्निया हो गया है। डॉक्टर ने उसके रोग को खोजने और इलाज करने के स्थान पर नई-नई युक्तियों व प्रणालियों का प्रयोग करना शुरू कर दिया। इन सबसे गुजरने के बाद विनायकमूर्ति का ऑपरेशन हुआ। एक महीने बाद जब विनायकमूर्ति को छुट्टी मिली तो डॉक्टर ने उसे शादी न करने की सलाह दी डॉक्टर ने कहा ऐसी इच्छा तुम्हें होगी ही नहीं लेकिन किसी के दबाव में आकर भी शादी न करना। विनायक का एक ही सपना था वह भी आज टूट गया।

विनायकमूर्ति जब अपने काम पर वापस लौटा तो मुदलियार ने बताया कि कोई भी विनायकमूर्ति की तरह काम नहीं कर पाया, साथ ही विनायकमूर्ति की आमदनी में 10 रूपए बढ़ाकर देने का फैसला विनायक को सुनाया। विवाह के लिए 100 रूयए भी कुछ दिन बाद देने की बात कही। यह सब सुनकर विनायक मुँह छुपाकर रोने लगा।

अब जब विनायक काम पर लगा तब वह ट्रेडिल मशीन के साथ खुद भी मशीन बन चुका था। जिसे लेखक द्वारा कहा गया है “हाँ दोनों ट्रेडिल मशीने गतिशील हो गई हैं”।

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कहानी की समीक्षा (Review of the Story)

औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप पूँजीवादी व्यवस्था ने अपना पैर जमा लिया है। पूँजीवादी व्यवस्था के परिणाम एक नया वर्ग खड़ा हो गया है जिसे मजदूर वर्ग के नाम से जाना जाता है। साठ के दशक में जिस तरह पूँजी का प्रवेश हो रहा था उससे भारत भी अछूता नहीं रहा लेकिन पूँजीवादी व्यवस्था ने पूरी तरह से भारतीयता को अपने कब्ज़े में नहीं कर पाई।

अगर ज़रा देर के लिए मशीन बंद हो जाए मुरूगेश मुदलियार विनायकमूर्ति पर गुस्सा करता है, इससे पूँजी के प्रभाव पता चलता है। मन ही मन मुरूगेश मुदलियार सोचता है कि यह कितना काम करता है, विनायकमूर्ति की शादी में मुरूगेश मुदलियार के मन में खर्च करने की ख्वाहिश से पता चलता है कि भारत में आत्मीयता अभी बाकी है।

मजदूर वर्ग के सपने छोटे-छोटे होते हैं, उसे पूरे करने में उन्हें अनेक कठिनाई का समना करना पड़ता है। उनके सपने जीवन व्यतीत करने की मुख्य आवश्यकताओं से संबन्धित होते हैं। विनायक मूर्ति का भी विवाह करने का सपना था। अधिकतर निर्धनों का सपना साकार नहीं होता वैसे ही विनायकमूर्ति का भी सपना सकार नहीं होता। विनायकमूर्ति के ऑपरेशन के बाद जब उसे छुट्टी मिलती है तो डॉक्टर उसे शादी ना करने की सलाह देते हैं। बारह वर्षो से विनायकमूर्ति शादी करने का सपना देख रहा था लेकिन पहले उसकी आर्थिक हालतों के कारण शादी नहीं हो पाती और अब जब एक आशा कि किरण दिखी तो डॉक्टर ने उसे शादी के लायक ना रहने की सूचना दे दी।


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