प्रेमचंद : Study Material – Class – 9
Ignou Study Material : MHD 10 प्रेमचन्द कहानी विविधा | MHD 10 Premchand Story Miscellaneous
कहानी का परिचय (Story Introduction)
यदि किसी व्यक्ति को (हमें या आपको) उसके परिवार के मुखिया द्वारा हमेशा के लिए कहीं और रहने के लिए भेज दिया जाए, तो क्या होगा? सामान्य रूप से पाया जाता है कि अपने ही घर में यदि अचानक सोने की जगह बदल दी जाती है, व्यक्ति को नींद नहीं आती। ऐसे में यदि रातो रात जीने का स्थान ही बदल दिया जाए, तो यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि व्यक्ति सहज महसूस नहीं करेगा।
जब हम अपने जीने का स्थान बदलने पर सहज महसूस नहीं करते, तो यह कैसे विचार कर सकते हैं कि अन्य जीव पशु-पक्षी, जानवर आदि सहज कैसे महसूस कर सकते हैं? हम बात कर रहे हैं- प्रेमचंद जी द्वारा लिखी कहानी “दो बैलों की कथा” की। इस कहानी मे दो बैल हैं, जिनका नाम हीरा व मोती है। हीरा और मोती दोनों अपने मालिक से दूर हो जाते हैं। दूर होने के बाद उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रेमचंद का संक्षिप्त परिचय (Brief introduction of Premchand)
प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 में बनारस के लमही गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम धनपत राय था। प्रेमचंद का बचपन अभावों में बीता और शिक्षा बी.ए. तक ही हो पाई। उन्होंने शिक्षा विभाग में नौकरी की परंतु असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और लेखन कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हो गए। सन् 1936 में इस महान कथाकार का देहांत हो गया।
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दो बैलों की कथा कहानी का सारांश ( Do bailon kee katha Summary of the Story)
यह कहानी दो बैलों की है, जिनका नाम हीरा व मोती है। हीरा मोती साथ रहते हैं परिणाम स्वरूप दोनों में गहरी दोस्ती है। दोनों एक दूसरे के भाव स्पष्ट रूप से समझ जाते हैं। इन बैलों का मालिक भी इन्हें बहुत स्नेह करता है।
किसी कारण से दोनों बैलों को इनका मालिक झूरी अपने साले के साथ अपने ससुराल भेज देता है। हीरा मोती अपने मालिक से अलग होकर बहुत दुखी हो जाते हैं। दुखद स्थिति तब हो जाती है जब नया मालिक काम तो बहुत करवाता है, लेकिन खाने को रूखा-सूखा दिया जाता था, अर्थात नए स्थान पर हीरा-मोती को पुराना स्नेह व सम्मान नहीं मिलता है। परिणाम स्वरूप यह हीरा-मोती भागकर अपने पुराने मालिक के पास चले जाते हैं। झूरी की पत्नि को हीरा-मोती का भागकर आना पसंद नहीं आया परिणाम स्वरूप झूरी विवश होकर दोबारा हीरा-मोती को अपने साले के साथ अपने ससुराल भेज देता है।
मोती बहुत गुस्से वाला था, हीरा थोड़ा सहज व समझदार था और धीरज से काम लेता था। हीरा की नाक पर जब नए मलिक द्वारा डंडे मारे गए तो मोती गुस्से से हल लेकर भाग गया। दोनों को ठीक से खाने को नहीं मिलता, और कभी-कभी खूब मारा पीटा भी जाता था। परिणाम स्वरूप दोनों बहुत कमज़ोर हो गए थे।
यहाँ एक बच्ची थी, जिसकी सगी माँ मर चुकी थी, उसकी सौतेली माँ उसे अधिकतर मारती रहती थी। वह प्रतिदिन दोनों बैलों को चोरी-छिपे दो रोटियाँ डाल जाती थी। एक दिन उसने दोनों बैलों की रस्सियाँ खोल दी, ताकि वह दोनों भाग जाएँ, परिणाम स्वरूप दोनों भाग गए। झूरी का साला और अन्य लोग हीरा-मोती को पकड़ने के लिए भागे लेकिन पकड़ नहीं पाए।
इस बार दोनों बैल झूरी के घर जाने का रास्ता भूल गए। दोनों एक खेत में जा पहुँचे और पेट भरके मटर खाए। खेत चरने के दौरान ही खेत का मालिक आ गया। हीरा तो भाग गया लेकिन मोती फँसा रह गया, इसलिए हीरा भी वापस आ गया। दोनों को काँजीहौस में बन्द कर दिया गया। काँजीहौस मे पशुओ को रखा जाता है। वहाँ और जानवर भी बन्द थे, परिणाम स्वरूप दोनों ने दीवार गिराकर सभी जानवरों को भगा दिया लेकिन हीरा के बँधे होने के कारण मोती और हीरा दोनों ही वहाँ रह गए।
काँजीहौस के मालिक ने मोती को खूब मारा और उसे एक मोटी रस्सी से बाँध दिया। एक हफ्ते बाद काँजीहौस के मालिक हीरा मोती को एक कसाई को बैच दिया। कसाई उन्हें अपने साथ ले जाने लगा। चलते-चलते हीरा मोती को लगा कि वे किसी जानी पहचानी जगह पर आ गए हैं। दोनों झूरी के घर के पास आ गए थे, परिणाम स्वरूप दोनों भागकर झूरी के द्वार पर वहीं आकर खड़े हो गए जहाँ उन्हें बाँधा जाता था। झूरी खुशी से झूम उठा, अचानक दढ़ियल (कसाई) ने आकर दोनों की रस्सियाँ पकड़ लीं। झूरी ने कहा – यह मेरे बैल हैं। दढ़ियल के ज़बरदस्ती करने पर मोती ने सींग चला कर उसे खदेड़ दिया। इस घटना के बाद झूरी ने बैलों को अपने ससुराल नहीं भेजा।
निष्कर्ष (Conclusion)
वर्तमान में बैलों का इतना महत्व नहीं है, जितना अब से लगभग 15-20 साल पहले हुआ करता था। जो काम पहले बैलों से लिया जाता था, अब उसके लिए मशीने आ गई हैं। बैलों का उपयोग अधिकतर खेती के लिए किया जाता था। अब खेती में जुताई, बुबाई, मिजाई आदि के लिए मशीनों का उपयोग किया जाता है। परिणाम स्वरूप अब बैलों का उतना महत्व नहीं समझा जाता है।
कुछ स्थानों पर आज भी खेती के लिए बैलों को काम में लिया जाता है, लेकिन अधिकर मशीनों का उपयोग किया जाता है।
किसानों के अनुसार मशीनों से खेती असान तो हो गई है, लेकिन इसका दुष्परिणाम यह हुआ है कि अब बैलों को खुल्ला छोड़ दिया जाता है। मशीनों से काम लेने वाले किसान बैल या बर्दा पालना नहीं चाहते हैं।
बैलों को खुल्ला छोड़ देने के कारण बैल बेसहारा तो हुए ही, साथ ही खेत की फसल भी सुरक्षित रखना मुश्किल हो गया है, क्योंकि जो बैल छुट्टा घुम रहे हैं, वह वैसे जाकर खेत की फसल चर लेते हैं, जैसे हीरा व मोती ने मजबूरी में किसी के खेत के मटर चर लिए थे।
पन्द्रह-बीस साल पहले जिन किसानो के पास बैल होते थे, उन्हें समृद्ध किसान माना जाता था। बैल न होने पर किसानो की स्थिति वैसी ही हो जाती थी, जैसी गोदान उपन्यास के नायक होरी की तब हो जाती है, जब भोला उसके बैल ले जाता है।
बैल ना होने पर किसान खेती के लिए बैल किराए पर लेता था, उधार लेता था या फिर खुद बैलों की तरह मज़दूरी करके खेती करता था।
पहले जो किसान बैलों से काम लेता था वह सबसे समृद्ध माना जाता था और अब जो किसान बोलों से काम लेता है उसे गरीब माना जाता है।