अभिव्यक्ति और माध्यम कक्षा – 11 (abhivyakti aur maadhyam kaksha – 11) | Expression and Medium Class – 11
अध्याय – 1 (पार्ट–1) | Chapter – 1 (Part – 1)
संचार – परिभाषा और महत्व (Communication – Definition and Importance)
अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने या भावनाओं और विचारों को प्रकट करने के लिए हम अपना अत्यधिक समय लगा देते हैं। हम अपने दैनिक जीवन में संचार किए बिना नहीं रह सकते हैं। वास्तव में संचार जीवन की निशानी है। मनुष्य जब तक जीवित रहता है, संचार करता रहता है। एक बालक भी रोकर या चिल्लाकर अपनी माता का ध्यान अपनी ओर खिंचता है। जो बोल या सुन नहीं सकता वह भी सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल करके संचार करता है। परिणाम स्वरूप यह कहा जा सकता है संचार खत्म होने का अर्थ मृत्यु है। संसार के प्रत्येक जीव आपस में संचार करते हैं लेकिन मनुष्य की संचार करने की क्षमता बाकी जीवों की तुलना में बहुत अलग व अच्छी है। मनुष्य के सामाजिक विकास में संचार की सबसे अधिक भूमिका रहती है।
संचार मनुष्य को एक-दूसरे सो जोड़ता है। सभ्यता का विकास संचार व संचार के माध्यमों से जुड़ा हुआ है। मनुष्य के द्वारा भाषा, लिपि या छपाई आदि का विकास किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य संदेशो का आदान-प्रदान रहा है। संदेशो के आदान-प्रदान में लगने वाले समय और दूरी को कम करने के लिए ही संचार के माध्यमों की खोज की गई है। भविष्य में भी खोजे हुए माध्यमों को अपडेट करने का प्रयास लगातार ज़ारी रहेगा।
संचार और जनसंचार के विभिन्न माध्यम जैसे – टेलीफोन, इंटरनेट, फ़ैक्स, समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविज़न और सिनेमा आदि के ज़रिये व्यक्ति संदेशों का आदान-प्रदान कम समय में कर पाता है। संचार माध्यमों के विकास के साथ ही भौगोलिक दूरियाँ कम होने के साथ-साथ सांस्कृतिक और मानसिक रूप से भी लोग एक दूसरे के नज़दीक आ रहे हैं। परिणाम स्वरूप कुछ लोगो का मानना है कि वर्तमान में दुनिया गाँव में बदल रही है।
टेलीविज़न में मौजूद समाचार चैनल व संवाददाता के माध्यम से वर्तमान में आज हम दुनिया के एक कोने में बैठकर दूसरे कोने प्रतिकूल व अनुकूल परिस्थितियों को लाइव देख सकते हैं। वर्तमान में क्रिकेट मैंच अत्यधिक लोगों की पसंद बन चुका है, परिणाम स्वरूप सभी क्रिकेट मैंच देखना चाहते हैं, संचार सुविधा के माध्यम से बिना स्टेडियम में गए व्यक्ति लाइव (सीधा प्रसारण) मैच देखता है।
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संचार क्या है? (What is communication?)
‘संचार’ शब्द की उत्पत्ति ‘चर’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ है – चलना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना। इसी प्रकार टेलीफ़ोन के तार या बेतार के ज़रिये मौखिक या लिखित संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने को भीं संचार ही कहा जाता है। परिणाम स्वरूप दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं विचारों या भावनाओं के आदान-प्रदान को संचार कहा जाता है।
सूचनाओं, विचारों और भावनाओं को लिखित, मौखिक या दृश्य-श्रव्य माध्यमों के ज़रिये सफलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना ही संचार कहलाता है। संचार को पूर्ण करने में सहायक वस्तु जैसे – फोन, टेलीविज़न, खत, आदि संचार के माध्यम कहलाते हैं।
संचार के तत्व (Elements of communication)
संचार प्रक्रिया की शुरूआत स्रोत या संचारक से होती है। जब संचारक किसी उद्देश्य से अपने किसी विचार, संदेश या भावना को किसी और तक पहुँचाना चाहता है तो संचार-प्रक्रिया की शुरूआत होती है।
संचार के लिए हम माध्यम के साथ भाषा (लिखित, मौखिक, सांकेतिक) का उपयोग करते हैं। भाषा एक तरह का कूट चिन्ह या कोड है। हम अपने संदेश को उस भाषा में कूटीकृत या एनकोडिंग करते हैं जिस भाषा (कोड) को वह व्यक्ति भी जानता हो जिससे हम बात (संचार) कर रहें हैं।
प्राप्तकर्ता यानी रिसीवर प्राप्त संदेश का कूटवाचन यानी उसकी डीकोडिंग करता है। डिकोडिंग का अर्थ है प्राप्त संदेश को समझने की कोशिश करना है। टेलीफ़ोन, समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविज़न, इंटरनेट और फ़िल्म आदि विभिन्न माध्यमों के ज़रिये भी संदेश प्राप्तकर्ता तक पहुँचाया जाता है।
प्राप्तकर्ता की प्रतिक्रिया सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती है। संचार प्रक्रिया में प्राप्तकर्ता की प्रतिक्रिया को फ़ीडबैक कहते हैं। फ़ीडबैक के परिणाम स्वरूप पता चलता है कि संचारक ने जिस अर्थ में संदेश भेजा था वह उसी अर्थ में प्राप्तकर्ता को मिला है या नहीं? फीड़बैक के अनुसार संचारक अपने संदेश में सुधार करता है साथ ही संचार प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
वास्तविक जीवन में संचार प्रक्रिया इतनी सुचारू रूप से नहीं चलती। कई बधाओं का भी सामना करना पड़ता है। इनमें से एक का नाम शोर (नॉयज) है। मानसिक, तकनीकी, या भौतिक किसी भी प्रकार का शोर हो सकता है। शोर के कारण अपने वास्तविक रूप में संदेश प्राप्तकर्ता तक नहीं पहुँच पाता है। सफल संचार के लिए संचार प्रक्रिया से शोर हटाना या कम करना बहुत ज़रूरी है।
शोर = स्रोत या संचारक, संदेश, माध्यम, प्राप्तकर्ता = फ़ीडबैक
संचार के प्रकार (Types of communication)
संचार एक जटिल प्रक्रिया है। इशारे के माध्यम से कही गई बात को सांकेतिक संचार कहते हैं। महत्वपूर्ण भावनाएँ मौखिक से कहीं ज़्यादा अमौखिक संचार के ज़रिये व्यक्त होती हैं जैसे – खुशी, दुख, प्रेम, डर आदि।
जब हम कुछ सोच रहे होते हैं, कोई योजना बना रहे होते हैं या किसी को याद कर रहे होते हैं। तब भी हम संचार कर रहे होते हैं। इस संचार प्रक्रिया में संचारक और प्राप्तकर्ता एक ही व्यक्ति होता है। इसे अंत: वैयक्तिक (इंट्रापर्सनल) संचार कहते हैं।
जब दो व्यक्ति आपसमें और आमने-सामने संचार करते हैं उसे अंतरवैयक्तिक (इंटरपर्सनल) संचार कहते हैं।
समूह में विचार-विमर्श या चर्चा करना समूह संचार कहलाता है। उदाहरण के लिए कक्षा में किया गया संचार समूह संचार है। समूह संचार का उपयोग समाज और देश के सामने समस्याओं को बातचीत, बहस या चर्चा के ज़रिये हल करने के लिए होता है। परिणाम स्वरूप संसद में की गई चर्चा समूह संचार है।
जब हम व्यक्तियों के समूहके साथ प्रत्यक्ष संवाद की बजाय किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के ज़रिये समाज के एक विशाल वर्ग से संवाद कायम करते हैं तो इसे जनसंचार (मास कम्युनिकेशन) कहा जाता है। उदाहरण के लिए – अखबार, रेडियो, टी.वी., सिनेमा या इंटरनेट आदि जनसंचार के माध्यम हैं। परिणाम स्वरूप संचारक और प्राप्तकर्ता में कोई सीधा संबन्ध नहीं होता है।
जनसंचार की विशेषताएँ (Characteristics of mass media)
1 जनसंचार के श्रोताओं, पाठकों और दर्शकों का दायरा बहुत व्यापक होता है। उदाहरण के लिए टेलीविज़न चैनल के दर्शकों की कोई सीमा नहीं होती है। यह दर्शक अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण, पुरुष-महिला, युवा-वृद्ध कोई भी हो सकता है। यह दर्शक देश विदेश कहीं भी रहने वाले हो सकते हैं। जनसंचार माध्यमों के ज़रिये प्रकाशित या प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है। इसका अर्थ है कि जहाँ अंतरवैयक्तिक या समूह संचार कुछ लोगों के लिए होता है वहीं जनसंचार के संदेश पूरी दुनिया के लिए होते हैं।
जनसंचार माध्यमों की विषेशता यह भी है कि इसमें बहुत सारे द्वारपाल (गेटकीपर) काम करते हैं। द्वारपाल ही हैं जो यह तय करते हैं कि जनसंचार माध्यमों से प्रसारित या प्रकाशित होने वाला कन्टेंट क्या होगा। उदाहरण के लिए – संपादक और उसके सहायक ही तय करते हैं कि समाचारपत्र में क्या छपेगा, कितना छपेगा, और किस तरह छपेगा।
जनसंचार के कार्य (Functions of mass communication)
जनसंचार माध्यमों के कई कार्य हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं –
1 सूचना देना – जनसंचार माध्यमों का प्रमुख कार्य सूचना देना है।
2 शिक्षित करना – जनसंचार माध्यम सूचनाओं के ज़रिये हमें जागरूक बनाते हैं। लोकतंत्र में जनसंचार माध्यमों की एक महत्वपूर्ण भूमिका जनता को शिक्षित करने की है।
3 मनोरंजन करना – जनसंचार माध्यम मनोरंजन के भी प्रमुख साधन हैं। सिनेमा, टी.वी., रेडियो, संगीत के टेप, वीडियो और किताबें आदि मनोरंजन के प्रमुख माध्यम हैं।
4 एजेंडा तय करना – जनसंचार माध्यम सूचनाओं और विचारों के ज़रिये किसी देश और समाज का एजेंडा भी तय करते हैं।
5 निगरानी करना – किसी लोकतांत्रिक समाज में जनसंचार माध्यमों का एक और प्रमुख कार्य सरकार और संस्थाओं के कामकाज पर निगरानी रखना भी है।
6 विचार-विमर्श के मंच – जनसंचार माध्यमों का एक कार्य यह भी है कि वे लकतंत्र में विभिन्न विचारों को अभिव्यक्ति का मंच उपलब्ध कराते हैं।
जनसंचार माध्यम का सरांश व समीक्षा Part – 2
By Sunaina