Study Material – Class 11 – MHD-10 – प्रेमचंद कहानी विविधा (Premchand Kahani Vividha)
प्रेमचंद का कहानी ईदगाह का परिचय (Introduction of the Story Idgah)
ईदगाह कहानी प्रेमचंद (Premchand) जी द्वारा लिखी गई है। यह कहानी 1933 में प्रकाशित हुई थी। वर्तमान में यह कहानी MHD10 व 11वीं कक्षा (class 11) के पाठ्यक्रम में लगाई गई है। जहाँ ईद की नमाज़ पढ़ी जाती है उसे ईदगाह कहते हैं। इस कहानी का मुख्य पात्र हमिद है जिसकी आयु लगभग चार या पाँच वर्ष की होगी। गरीबी का महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि बच्चो को समय से पहले बड़ा बना देती है। जिसका चित्रण लेखक ने कहानी के पात्र हामिद के माध्यम से किया है। ईदगाह कहानी बाल मनोविज्ञान पर केन्द्रित है। हामिद के माध्यम से लेखक ने मनोविज्ञान की सूक्ष्मता को दर्शाया है।
लेखक प्रेमचंद का परिचय (Introduction of the author Premchand)
प्रेमचंद जी का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव है। प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई 1880 को हुआ था। 8 अक्टूबर 1936 को उनका देहांत हो गया। प्रेमचंद हिन्दी व उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार व कहानीकार थे। सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, गोदान आदि कई उपन्यास व कहानियाँ लिखी हैं। अपने समय की सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि कई प्रमुख पत्रिकाओं में लिखा है। 1906 से 1936 तक लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य सामाजिक दस्तावेज है। जिनके मुख्य विषय अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह आदि हुआ करते थे। परिणाम स्वरूप यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि अपने साहित्य में समाज का दर्पण दिखाने में प्रेमचंद जी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
ईदगाह कहानी का सारांश (Summary of the Story Idgah)
कहानी की शुरूआत रमज़ान के 30 रोज़े पूरे होने के बाद आई ईद से होती है। दिन बाकी दिनो की तरह है उसके बाद भी ईद का दिन होने के कारण सभी बहुत खुश हैं परिणाम स्वरूप पर्यावरण उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है। गरीब हों या अमीर ईद के दिन सभी ईदगाह जाते हैं, सभी त्यौहार मनाते हैं। अमीरों को त्यौहार मनाने में समस्याओं का समना नहीं करना पड़ता लेकिन गरीब लोगों को त्यौहार बनाने के लिए भी सारा दिन परेशान होना पड़ता है जिसकी झलक हामिद की दादी अमीना के माध्यम से कहानी में दिखाई गई है।
सबको ईदगाह जाना है इसलिए वह सभी अपने काम को समय से पूरा कर लेना चाहते हैं। कहानी में चारो ओर भाग-दौड़ लगी है। जहाँ घर के बड़े परेशान हैं कि कैसे ईद मनाई जायेगी वहाँ बच्चे इन सब परेशानियों से बेखबर हैं, उनके अन्दर आशा है उम्मीद है। हामिद की आयु लगभग पांच साल है वह अपनी दादी के साथ रहता है। हामिद के माता-पिता का स्वर्गवास हो गया है लेकिन हामिद को लगता है कि उसके माता-पिता भगवान के घर से उसके लिए बहुत सारी मिठाईयाँ खिलौने लेकर आयेंगे। जब वह आयेंगे तब वह अपने दिल के सारे अरमान पूरे कर लेगा।
कई टोलियाँ ईदगाह के लिए रवाना हो जाती है। अमीना भी हामिद को अकेले भेज देती है, वैसे तो वह हामिद के साथ ही जाती लेकिन सैवइया बनाने के लिए समान इकट्ठा करना है जिसके लिए समय चाहिए परिणाम स्वरूप वह हामिद को टोली के साथ भेज देती है जिसमें सारे रास्ते हामिद के दोस्त उसके साथ चलते हैं। रास्ते में हामिद और उसके दोस्त मोहसीन, महमूद, नूरे, सम्मी का संवाद चलता रहता है। रास्ते में फलदार वृक्ष, बड़ी-बड़ी इमारतें मौजूद हैं। रास्ते में पुलिस लाइन आने पर हामिद और उसके दोस्त अपनी समझ के अनुसार पुलिस के बारे में बात करते हैं।
ईदगाह की नमाज़ के बाद खिलौने की दुकान से महमूद सिपाही, नूरे वकील, मोहसीन भिस्ती और सम्मी धोबिन खरीदता है। हामिद खिलौने की बुराईयाँ करता है लेकिन उसका मन भी खिलौने के लिए ललचाता है। हामिद के मित्र मिठाईयाँ खरीदते हैं और हामिद को ललचा कर खाते हैं।
लोहे की दुकान पर चिमटा देखकर हामिद को अपनी दादी अमीना की याद आती है जिसका हाथ चिमटा ना होने के कारण जलता रहता है। हामिद की दादी ने जो पैसे उसे कुछ खाने-पीने के लिए दिए थे उन पैसों से वह चिमटा खरीद लेता है। चिमटा खरीदने के बाद हामिद और उसके दोस्तों में चिमटा व दोस्तों के खिलौने की योग्यता को लेकर तर्क-वितर्क शुरू हो जाता है। अंत में हामिद के दोस्त चिमटा से प्रभावित हो जाते हैं। घर पहुँचने के बाद हामिद के सभी दोस्तों के खिलौने किसी ना किसी कारण से टूट जाते हैं, हामिद का चिमटा सलामत रहता है।
अमीना जैसे ही हामिद के हाथों में चिमटा देखती है तो वह हामिद पर गुस्सा हो जाती है। अमीना जब हामिद से पूछती है कि पूरे मेले में उसे चिमटे के अतरिक्त कोई और चीज़ नहीं मिली? तो हामिद कहता है कि तुम्हारा हाथ तवे से जल जाता है इसलिए चिमटा लाया हूँ। अमीना यह सुनकर हामिद के धैर्य को देखकर हैरान हो गई। वह रोते-रोते दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देनी लगी। लेखक का कहना है कि अमीना ने बच्ची अमीना का किरदार खेला था और हामिद ने बुढे हामिद का किरदार खेला था। हामिद अमीना के आँसुओं का रहस्य नहीं समझ पा रहा था उसे हैरानी थी कि मैं तो चिमटा लाया हूँ फिर दादी क्यों रो रही है।
By Sunaina